वैज्ञानिक जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए प्लाज्मा तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था। इस तकनीक का उपयोग वायरस जनित रोगो के उपचार में किया जाता है। इसे कान्वेलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी भी कहा जाता है। लेकिन इस दौरान ब्लड प्लाज्मा लेने की ऑनलाइन कोशिश आपको महंगी पड़ सकती है। शनिवार को पुलिस के द्वारा दिए गये बयान के अनुसार साइबर ठगों के गिरोह कोरोना संक्रमण से उबर चुके मरीजों का प्लाज्मा बेचने के ऑफर देकर लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
कोविड 19 मरीज के रक्त में स्वस्थ होने के उपरान्त शरीर द्वारा निर्मित एन्टीबाडीज रहते हैंं। इस तकनीक में कोविड-19 से स्वथ्य हुए मरीज के प्लाज्मा का नए मरीज में इन्फ्युजन किया जाता है। ये एन्टीबाडीज मालीक्युलस वायरस से लड़ने मेंं शरीर की मदद करते है। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में चार मरीजों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल किया था, जिसके अच्छे नतीजे आए थे। लेकिन ठगों ने अब इसका प्रयोग अपनी जेब भरने के लिए करना चालू कर दिया है।
महाराष्ट्र साइबर पुलिस के स्पेशल आईजी यशस्वी यादव के मुताबिक, “साइबर ठगों की तरफ से इसे चमत्कारी इलाज बताते हुए डार्क नेट के जरिये बहुत सारे ऑनलाइन विज्ञापन दिए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी टीमें इसकी जांच कर रही हैं और उन्होंने ऐसे दावों के स्क्रीन शॉट भी हासिल कर लिए हैं। उन्होंने कहा, डार्कनेट पर मौजूद वेबसाइट्स इंटरनेट के दायरे में ही अनलिस्टेड और सीक्रेट नेटवर्कों पर चलती हैं। उन्होंने कहा, साइबर पुलिस ऐसी अवैध गतिविधियों की निगरानी के अलावा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट और गलत जानकारी फैलाने पर भी नजर रख रही है।
आईजी यशस्वी यादव ने बताया कि देश में पहली बार महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने ऑनलाइन आपत्तिजनक कंटेंट जारी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 149 के तहत लोगों को नोटिस जारी किए हैं। इस धारा के तहत पुलिस को कोई भी संभावित अपराध रोकने के लिए निरोधक कार्रवाई करने का अधिकार मिलता है। उन्होंने बताया कि 122 लोगों को नोटिस भेजे गए थे, जिनमें 60 से ज्यादा ने नोटिस मिलने के बाद अपनी पोस्ट को ऑनलाइन प्लेटफार्मों से हटा लिया है।