पूरा देश जानता है कि भारत को गुलाम बनाने में मुगलों का बहुत बड़ा हाथ है। मुगलों ने भारत में आकर भारत की संपत्तियों को लूटा और भारत के मंदिरों को ध्वस्त किया। आज भी कई इस्लामिक इमारतों पर भारतीय तथा हिंदू संस्कृति के प्रतीकों को देखा जा सकता है। अयोध्या में बनने वाले भगवान श्री राम के मंदिर के नीचे से भी कुछ ऐसी आकृतियां बरामद हुई थी। जिनका सीधा संबंध हिंदू संस्कृति से था। वहीं अब श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में कोर्ट ने अपील को स्वीकार कर लिया है और इस पर AIMIM प्रमुख ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर अपने मन को तोड़ते हुए कहा है, “लोगों को संघ के विचारों से सावधान रहना चाहिए। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस भी संघ को समर्थन देता रहता है। जिससे वे कामयाब हो जाते हैं। बाबरी मस्जिद के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वहां के फैसले से संघ परिवार को मजबूती मिली है। उन्होंने कहा कि यदि हम अभी नहीं चेते तो संघ इस दिशा में और भी हिंसक अभियान शुरू कर सकता है। ”
ओवैसी ने कहा, “श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह ट्रस्ट के बीच के विवाद को 1968 में सुलझा लिया गया था। उसके बाद से चीजें वैसी ही चली आ रही है। अब बाबरी मस्जिद पर फैसला आने के बाद फिर इस मुद्दे को जीवित किया जा रहा है। इसको लेकर कोर्ट में केस दायर किया गया है। जबकि इससे पहले इस याचिका को स्वीकार नहीं किया गया था। अब फिर से इस याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। इसके संकेत अच्छे नहीं है। ओवैसी ने से पहले यह भी कहा था कि पूजा स्थान अधिनियम 1991 पूजा के स्थान को बदलने से मना करता है। गृह मंत्रालय को इस अधिनियम का प्रशासन सौंपा गया है। इसकी प्रतिक्रिया कोर्ट में क्या हुआ और सेवा संघ ने अक्टूबर 1968 में इस विवाद को हल कर लिया था। “