किसान संगठनों का अहंकार चढ़ा परवान, सरकार के प्रस्ताव को फिर किया खारिज

किसानों तथा सरकार के बीच हुई 10 वें दौर की बैठक में भारत सरकार ने कहा था कि हम इन किसी कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोक सकते हैं। ऐसा माना जा रहा था इससे कोई हल निकल सकता है। लेकिन इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक बार फिर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

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चित्र साभार: ट्विटर @Jnstomar

लगातार सरकार तथा किसानों के बीच बैठक हो रही है लेकिन उसके बावजूद भी कोई हल निकलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने 10 बैठकों के दौरान अलग-अलग तरह से किसानों को मनाने की कोशिश की है लेकिन किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपनी जिद पर अड़े हैं। वे चाहते हैं कि सरकार कानून को रद्द करें। इसी बीच दसवें दौर की बैठक में जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम डेढ़ साल के लिए कृषि कानूनों को रोक सकते हैं लेकिन आप आंदोलन खत्म कर दीजिए। ऐसा माना जा रहा था कि किसान इस मांग को अवश्य मान लेंगे, लेकिन किसान संगठनों ने अपनी राजनीति के चलते सरकार के इस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया और यह कह दिया कि हम 26 जनवरी पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली अवश्य करेंगे।

किसान संगठनों का कहना है कि हमें केवल तीनों कानूनों को वापस कराना है। हम इससे नीचे या ऊपर किसी भी मांग पर तैयार नहीं है। दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसान दिल्ली से सटी सीमा पर ट्रैक्टर मार्च निकाल लें, वहीं किसान जिद्द पकड़कर बैठे हैं कि जो करेंगे, दिल्ली में करेंगे। ट्रैक्टर रेली निकालने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में हम दखल नहीं दे सकते दिल्ली पुलिस को ही खुद सब कुछ तय करना होगा। भारत के अन्य राज्यों के किसानों ने इन कानूनों का समर्थन किया है लेकिन दिल्ली में बैठे हुए किसान संगठन लगातार इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं और दिल्लीवासियों के लिए एक बड़ी समस्या भी खड़ी कर रहे हैं।

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