रिपब्लिक टीवी के editor-in-chief अर्णब गोस्वामी को बुधवार सुबह मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनके ऊपर पुराना एक केस है। जिसके अनुसार उनके और उनके चैनल के कारण एक इंटीरियर डिजाइनर तथा उनकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। हालांकि चैनल का यह कहना है कि यह केस पहले समाप्त हो चुका है और अब दोबारा इस केस की आड़ लेकर महाराष्ट्र सरकार अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी की आवाज को दबाना चाहती है।
वास्तव में इस तरह की प्रक्रिया केवल आपातकाल के दौरान देखी गई थी और अब महाराष्ट्र में जब शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार है। तब वही प्रक्रिया दोहराई जा रही है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है मीडिया। जब भी देश की सत्ता अराजक होती है या देश की जनता के खिलाफ हो जाती है, तब मीडिया ही उन लोगों से सवाल पूछता है और इस देश की व्यवस्था को सीमा रेखा के भीतर रखता है। लेकिन जब देश के नेताओं को पत्रकारों के सवाल खराब लगने लगते हैं तब वे पत्रकारों को अपने सत्ता के बल पर खामोश करने की प्रक्रिया अपनाते हैं।
पालघर के साधुओं लिए न्याय मांगना महाराष्ट्र में हुआ गुनाह
कुछ समय पहले जब महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु संतों को एक भीड़ ने घेरकर मार दिया था। तब रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक टीवी के editor-in-chief अर्णब गोस्वामी ने काफी दिनों तक न्याय देने की मुहिम चलाई। इसके विपरीत जब साधु-संतों को लेकर पब्लिक टीवी के एंकर ने उद्धव ठाकरे, सोनिया गांधी और संजय राउत से सवाल पूछने प्रारंभ किए तो उद्धव ठाकरे की सरकार ने उल्टे देश भर में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुकदमे कराने शुरू किए और उन पर हमला भी हुआ।
जनता की आवाज उठाने वाले पर महाराष्ट्र सरकार का आक्रोश
इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग करने के लिए जिस तरह से रिपब्लिक टीवी ने मुहिम चलाई थी। वह काबिले तारीफ है। लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार लगातार अपनी दमनकारी शक्तियों का प्रयोग करके पहले कंगना के मकान पर बुलडोजर चलवाती है और वही अब अपनी शक्तियों का प्रयोग करके अर्नब गोस्वामी को जेल में डालने का प्रयास करती है।
देश के चौथे स्तंभ पर महाराष्ट्र सरकार ने किया हमला
लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार द्वारा इस प्रयास का पूरे देश भर में विरोध हो रहा है। जहां एक तरफ बहुत सारे लोग अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी से खुश हैं, वहीं दूसरी तरफ देश के बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लोकतंत्र के लिए एक कालादिन बता रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, देवेंद्र फडणवीस से लेकर संबित पात्रा तक सभी लोग इस समय अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को गैरकानूनी और गैर जिम्मेदाराना बता रहे हैं।
अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने एक बार फिर लोकतंत्र को शर्मसार किया है। रिपब्लिक टीवी और अर्णब गोस्वामी के खिलाफ राज्य की सत्ता का दुरुपयोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है। यह हमें आपातकाल की याद दिलाता है फ्री प्रेस, इस हमले का विरोध जारी रहेगा!”
वहीं दूसरी तरफ देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “वरिष्ठ पत्रकार अर्णव गोस्वामी के साथ किया गया व्यवहार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने और विरोध के स्वर का दमन करने की अधिनायक वादी प्रकृति का प्रतीक है। कांग्रेस को आपातकाल समेत अनेक उदाहरणों को ध्यान करना चाहिए कि प्रेस का दमन करने वाली सरकारों का हश्र बुरा हुआ है।”
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र सरकार ने देश के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध बर्बर कार्रवाई कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का पाप किया है। लोकतंत्र को कुचलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रौंदने के कांग्रेस और महाराष्ट्र सरकार के इस कदम की मैं कड़ी निंदा करता हूं।”
हमारे देश में बहुत सारे ऐसे पत्रकार हैं जो लगातार देश को छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बांटने का प्रयास करते हैं। सरकार की नीतियों का गलत प्रचार करते हैं। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर सभी प्रमुख नेताओं पर कीचड़ उछालने का प्रयास करते हैं, लेकिन बाद में उनके तथ्यों में न तो कोई सच्चाई होती है और ना ही विश्वास पात्रता!…लेकिन उसके बावजूद भी किसी भी पत्रकार को केंद्र सरकार न तो जेल में डलवाती है और ना ही उस पर किसी भी प्रकार का दबाव डाला जाता है।
क्या अर्णब गोस्वामी पर यह कार्यवाही केवल इसलिए की गई है क्योंकि उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत मामले की सीबीआई जांच करवाने की कोशिश की? या क्योंकि उन्होंने हिंदू साधुओं की मॉब लिंचिंग के लिए सीबीआई जांच की मांग की? या सोनिया गांधी से यह सवाल किया कि क्यों महाराष्ट्र में हिंदू साधुओं की मॉब लिंचिंग हुई? या हाथरस प्रकरण की सच्चाई सामने लाने का प्रयास किया?
वास्तव में यही वे कुछ बिंदु हैं जिनके कारण अर्णब गोस्वामी को बदले की भावना से गिरफ्तार कराया गया है। वास्तव में हमारी सरकारों को वही पत्रकार अच्छे लगते हैं जो केवल उनके चरण वंदना करें!..यदि देश में हिंदू साधू संतों की मॉब लिंचिंग होती है तो क्या उद्धव ठाकरे से सवाल नहीं पूछा जाएगा? आज पूरा देश अर्नब गोस्वामी के साथ खड़ा है। समय विपरीत है इसलिए अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन भारत की जनता सब कुछ जानती है आने वाले समय में शिवसेना सरकार को जनता इस तरह काल के कूड़ेदान में फेंकेगी! दोबारा कभी महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना सरकार में बैठने के लिए तरस जाएंगी।