कोरोना माहामारी का वैक्सीन ढूंढना इन दिनों सभी देशों के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसकी दवाई खोजने में लगे हुए हैं। भारत में भी 6 कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने का काम कर रही हैं। दुनियाभर में कुल 11 वैक्सीन ऐसी हैं जिन्हें ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिली है। इसी बीच कोरोना वैक्सीन COVAXIN के ह्यूमन ट्रायल की शुरुआत के बीच एम्स एक्सर्ट्स ने कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं।
दिल्ली में एम्स के एक्सपर्ट्स की एक टीम ने वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए प्रोटोकॉल में बदलाव करने की बात कही है। एम्स में रिसर्च विंग की एथिक्स कमेटी ने सैंपल सर्वे के लिए दोनों चरण में 375 की जगह 1125 स्वस्थ और स्वेच्छा से आगे आए लोगों पर परीक्षण करने की बात कही है। एम्स के रिसर्च विंग के सूत्रों के मुताबिक, एथिक्स कमेटी ने आईसीएमआर और सरकार को प्रोटोकॉल के 11 बिंदुओं में सुधार का सुझाव दिया गया है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि इससे ट्रायल ज्यादा व्यवहारिक, वैज्ञानिक और सटीक होगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीएमआर प्रोटोकॉल के अनुसार ट्रायल फास्ट ट्रैक होना चाहिए, लेकिन इसके लिए सैंपल टारगेट ज्यादा हो तो सटीक नतीजे आएंगे। फिलहाल अभी के प्रोटोकॉल के मुताबिक पहले चरण में 18 से 55 साल के स्वस्थ लोगों पर और दूसरे चरण में 12 से 65 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होगा। आईसीएमआर की तरफ से इस वैक्सीन की लॉन्चिंग की जानी है। वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर का कहना है कि वैक्सीन की प्रीक्लीनिकल स्टडी सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। अब ह्यूमन ट्रायल के फेज 1 और 2 की शुरुआत होनी है। वैक्सीन COVAXIN का 7 जुलाई यानी आज से ह्यूमन ट्रायल के लिए इनरोलमेंट शुरू किया जाएगा। इसके बाद सभी ट्रायल सही हुए तो 15 अगस्त तक वैक्सीन को लॉन्च किया जा सकता है।
वैक्सीन को हैदराबाद के जीनोम वैली के बीएसएल 3 हाई कंटेनमेंट फैसिलिटी में तैयार किया गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की मंजूरी दे दी थी। आपको बता दें कि,भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी) के साथ मिलकर कोविड-19 के लिए भारत की पहली वैक्सीन को सफलतापूर्वक विकसित किया है।