गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 2 वर्ष पहले बच्चों की मौत के बाद चर्चा में आए डॉ कफील खान के पक्ष मे हाई कोर्ट ने फैसला दे दिया। डॉ कफील खान पर अलीगढ़ के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए, एनआरसी और एनपीए का विरोध करने के कारण एनएसए के तहत कार्यवाही की गई थी। लेकिन आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन पर लगाए गए एनएसए को अवैध करार दे दिया। कोर्ट ने इसके साथ ही मथुरा जेल में करीब 7 महीने से बंद डॉ कफील खान को तत्काल रिहा करने का आदेश भी दिया।
इसके साथ-साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान पर रासुका के तहत कार्यवाही को अवैध करार करते हुए उसे रद्द कर दिया। इसके साथ ही हिरासत की अवधि को 2 बार बढ़ाई जाने को भी अवैध करार दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा एनएसए के तहत डॉ कफील खान को हिरासत में लेना और इसके बाद हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए। अलीगढ़ के डीएम ने अलीगढ़ में नफरत फैलाने के आरोप में डॉक्टर कफील खान पर रासुका लगाया था उसके बाद से ही वे जेल में बंद हैं। अपने बेटे की रिहाई के लिए कफील खान की मां ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी।
यह बताया जा रहा है कि जिस हेट स्पीच को लेकर उनके ऊपर NSA से लगाया गया था। उसको कोर्ट में पेश ही नहीं किया गया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 12 दिसंबर 2019 को सीएए के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान डॉ कफील खान, योगेंद्र यादव ने भड़काऊ बयान दिए थे। इस मामले में अलीगढ़ सिविल लाइंस थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता और बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान को 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए एनआरसी तथा एनपीए के दौरान भड़काऊ भाषण देने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।