400 साल पुराने रामटेक तीर्थ के बारे में, वनवास के दौरान यहां रुके थे भगवान श्री राम

बाल्मीकि रामायण और पद्म पुराण में एक स्थान का जिक्र होता है जिसका नाम है रामटेक तीर्थ यहीं पर महर्षि अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को ब्रह्मास्त्र दिया था। यह माना जाता है भगवान श्री राम यहां पर 4 महीने तक रहे थे।

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भारत एक सांस्कृतिक देश है और भारत की आस्था है। भारत के हर हिस्से में देखी जा सकती है। भारतीय संस्कृति के अनुसार हर कंकर कंकर शंकर है। इसी लिए नर्मदा नदी से निकलने वाले प्रत्येक पत्थर को प्राण प्रतिष्ठा के बाद शंकर कहा जाता है। ऐसा ही कुछ भारत की मान्यताओं का भी प्रभाव है। यह माना जाता है कि हजारों करोड़ों साल पहले जब भगवान राम धरती पर आए थे और उन्हें बनवास मिला था। तब वे उस बनवास के दौरान महाराष्ट्र के नागपुर से करीब 33 किलोमीटर दूर उची पहाड़ियों पर पर रुके थे। आज वह स्थान रामटेक तीर्थ नाम से जाना जाता है। ये माना जाता है कि इससे भगवान श्री राम के बनवास का बहुत महत्वपूर्ण भाग जुड़ा हुआ है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने यहां पर 4 महीने रहकर शस्त्र ज्ञान हासिल किया था। इस तीर्थ के बारे में महर्षि बाल्मीकि रामायण कथा पद्म पुराण में भी जिक्र मिलता है। इस जगह के बारे में बाल्मीकि रामायण में कहा जाता है कि जब श्री राम भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ दंडकारण्य वन से पंचवटी की ओर बढ़ रहे थे। तो अचानक बारिश का मौसम हो गया और कहा जाता है कि मानसून बारिश के इन चार महीनों में उन्होंने इसी जगह पर अपना बसेरा बसा लिया था। इसी जगह पर रहते हुए उनकी मुलाकात अगस्त ऋषि से हुई थी उन्होंने ही भगवान राम को ब्रह्मास्त्र प्रदान किया था। जिससे उन्होंने रावण का वध किया। इसी जगह का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है इसमें उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यह के सभी ऋषि-मुनियों को भोजन कराया था।

इस मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है यह पत्थर आपस में जुड़े हुए नहीं है। बल्कि एक-दूसरे पर रखे हुए हैं। इस मंदिर से लगा हुआ एक तालाब भी है, इसके बारे में यह कहा जाता है कि वर्ष भर इस में पानी का स्तर समान रहता है। रामटेक मंदिर के रास्ते में एक और जगह का वर्णन किया जाता है। जिसका संबंध महाकवि कालिदास से है इस जगह को रामगिरी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी स्थान पर कालिदास के मेघदूत लिखी थी। यह मंदिर देखने में बेहद ही खूबसूरत है यदि इस बंदे को आप केवल एक नजर से देखें तो यह आपको किला लगेगा राम मंदिर का यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जिसे गढ़ मंदिर भी कहा जाता है रामटेक को सिंदूर गिरी भी कहा जाता है इसके पूर्व की ओर सुर नदी बहती है। रामनवमी के दौरान यहां नदी के किनारे एक मेला भी लगता है जिसमें बहुत संख्या में लोग आते हैं।

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