बेजुबान गर्भवती हथिनी के मुँह में पटाखा फोड़कर ले ली जान, लेकिन उसने नहीं किया किसी पर हमला

0
959
प्रतीकात्मक चित्र

केरल | केरल राज्य से एक ऐसी घटना सामने आई है जो कि आपके दिल को झकझोर कर रख देगी, और सोचने पर मजबूर कर देगी की, क्या वाकई में हम इंसान जानवरों से बेहतर है? क्योंकि ऐसा दुर्दांत व्यवहार तो बेजुबान जानवर भी किसी के साथ नहीं करते। केरल में एक हाथी के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने ऐसा ही व्यवहार किया जिसे सुनकर हर किसी की रूह काँप उठी। यहां पर एक गर्भवती मादा हाथी को धोखे से अनानास में पटाखे रख कर खिला दिया गया, जो की उसके मुँह में ही फट गया। अत्यंत पीड़ा और असहनीय दर्द के कारण गर्भवती मादा हाथी, नदी के पानी में जाकर खड़ी हो गई और वहीं उसकी मौत हो गई। ये घटना केरल के मल्लपुरम के पलक्कड़ की है।

पीड़िता हथिनी “साइलेंट वैली नेशनल पार्क” की थी, जिसे कुछ स्थानीय असामाजिक तत्वों ने उपहास के तौर पर मार डाला। ध्यान देने की बात ये है कि असहनीय पीड़ा के बावजूद भी उस हथिनी ने किसी को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश नहीं की। वेटरनरी डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने अपने करियर में 250 हाथियों का पोस्टमॉर्टम किया है लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब उन्हें इतनी पीड़ा हुई। उन्होंने बताया कि वो हथिनी के अजन्मे बच्चे को, भ्रूण को हाथों में लेकर देख सकते थे। पहले किसी को भी पता नहीं था कि वो गर्भवती है, ये पोस्टमॉर्टम के समय ही पता चला।



दरअसल, केरल के इस इलाक़े में जंगली भालुओं के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसी क्रम में कुछ निर्दयी असमाजिक तत्वों ने अनानास में पटाखों को भर कर धोखे से मादा हाथी को वो खिला दिया गया। निर्दोष जीव इंसानों के इस छल को नहीं समझ पाया और उसने खाने में देर नहीं लगाई। इसके बाद उसके मुँह में पटाखे फूटने के कारण वो असह्य पीड़ा से इधर-उधर भागने लगी। मादा हाथी इस पीड़ा के कारण स्थानीय इलाक़ों में तबाही मचा सकती थी और लोगों को नुकसान पहुँचा सकती है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

मादा हथिनी इधर-उधर भागती रही लेकिन उसने गाँव में किसी को भी नुकसान नहीं पहुँचाया और न ही तोड़फोड़ मचाई। शायद उसे उम्मीद थी कि कोई आकर उसे ना सही तो उसके पेट में पल रहे बच्चे को तो बचा ही लेगा। इसी आस में बेबसी और लाचारी से भरी नजरों से इधर उधर भागने के बाद वो हथिनी पानी में जाकर खड़ी हो गयी। और फिर कुछ देर बाद उसने पेट में पल रहे बच्चे समेत खुद का भी प्राण त्याग दिया। हथिनी नदी में इसलिए खड़ी थी ताकि उसके मुँह और जीभ को पानी से कुछ राहत मिले। इस घटना को नीलांबुर के सेक्शन फारेस्ट ऑफिसर मोहन कृष्णन ने जनता के साथ साझा किया।

हाथी को बचाने के लिए जो रैपिड एक्शन टीम गई थी, उसका नेतृत्व वही कर रहे थे। उन्होंने भावुक होकर मलयाली भाषा में फेसबुक पर लिखा, “वो 20 महीने बाद अपने बच्चे को जन्म देने वाली थी। उसे भूख लगी थी, उसे क्या पता था कि क्रूर इंसानों के जिस भोजन को वो उनका प्यार समझ कर ग्रहण करेगी, वो सिर्फ़ एक छलावा है, जो दोहरी जिंदगियों का भक्षक बन जाएगा। मेरे सामने अब भी उसका चेहरा घूम रहा है। उसने पानी में ही कब्र बना ली। अब हम उसे लेकर जा रहे हैं, दफनाने के लिए। वो उसी ज़मीन के नीच हमेशा के लिए सोएगी, जहाँ उसने बचपन से हँसा-खेला था। मैं और क्या कर सकता हूँ? स्वार्थी मानव जाति की तरफ से उसे कहता हूँ- बहन, क्षमा करो।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here