पिछले 12 वर्षों में 2016 से 2018 तक, भारत में बाघों की आबादी 2,967 हो गई है। हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि असली सफलता बाघ की भौगोलिक सीमा और गैर-संरक्षित जंगलों के प्रबंधन में है, जिसमें भारत का प्रदर्शन ठीक नहीं है। 2018 के सर्वे के अनुसार तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाघों की तादाद दोगुनी हुई है। भारत में भारत के बाघों के आवास को पांच परिदृश्यों- शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों, मध्य और पूर्वी घाटों, पश्चिमी घाटों, उत्तर-पूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र और सुंदरवन में वर्गीकृत किया गया है। शिवालिक की पहाड़ियों, गंगा के मैदानों में संख्या 297 से बढ़कर 646, पश्चिमी घाट क्षेत्र में 402 से बढ़कर 981 और पूर्वोत्तर के पहाड़ों व ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों में 100 से 219 हो गई है।
वहीं, मध्य भारत और पूर्वी घाटों में करीब 59 फीसदी वृद्धि के साथ बाघों का कुनबा 601 से 1033 हो गया है। पश्चिमी घाटों में संयुक्त रूप से सर्वाधिक 724 बाघ हैं। वहीं, दूसरे स्थान पर उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 604 बाघ रहते हैं। बाघों की गणना की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में मौजूद हैं। पूर्व में हुई गणना के लिहाज से देखा जाए तो साल 2014 के मुकाबले 741 बाघों की बढ़ोतरी हुई है। 2010 में 1,706 और 2014 में 2226 बाघ थे। जो 2018 में बढ़कर 2967 हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1973 में जब प्रोजेक्ट टाइगर को लांच किया गया था तब भारत में सिर्फ नौ टाइगर रिजर्व थे, आज वे बढ़ कर 50 हो गए हैं। जिनका क्षेत्रफल 72,749 वर्ग किमी है।
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हालांकि यह अभी भी भारत के भौगोलिक क्षेत्र का सिर्फ 2.2 फीसदी ही है। देश भर में ‘संरक्षित क्षेत्रों’ और ‘कम्यूनिटी रिजर्व ’ की संख्या में वृद्धि हुई है। 2006 से 2018 तक लगातार क्षेत्रों की तुलना में भारत की बाघों की आबादी 6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ी है। हाल की अवधि में, भारत की बाघों की आबादी 33 फीसदी बढ़ी है। इसके साथ ही देश भर में ‘संरक्षित क्षेत्रों’ और ‘कम्यूनिटी रिजर्व’ की संख्या में वृद्धि हुई है। बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोदी ने 29 जुलाई, 2019 को रिपोर्ट के लॉन्च पर कहा था कि संरक्षित क्षेत्रों की संख्या 2014 में 692 से बढ़कर 2019 में 860 हो गई, और कम्यूनिटी रिजर्व की संख्या भी 2014 में 43 थी, जो अब 100 से अधिक हो गई है।