राम मंदिर का मामला अब हल हो चुका है। 5 अगस्त को राम मंदिर का शिलान्यास होना है और इस कार्यक्रम में सभी गणमान्य अतिथि पधारेंगे। लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, प्रधानमंत्री मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ 200 अतिथियों का इस कार्यक्रम में आगमन होगा।
इस समय अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। इसी दौरान एक सूचना यह भी आ रही है कि मंदिर के ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि मंदिर निर्माण के समय मंदिर की नींव से 2000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। जिससे यदि कोई व्यक्ति भविष्य में राम मंदिर के इतिहास के बारे में जानना चाहेगा तो बहुत आराम से जान सकेगा।
क्या होता है टाइम कैप्सूल?
आप सभी लोग यह जानना चाहते होंगे कि टाइम कैप्सूल क्या होता है? और इसका किस प्रकार से उपयोग किया जाएगा? जिससे भविष्य में राम मंदिर से संबंधित कोई विवाद उत्पन्न नहीं होगा। टाइम कैप्सूल एक बॉक्स होता है जो कंटेनर की तरह दिखता है। इसका अधिकतर निर्माण तांबे से किया जाता है। यह कैप्सूल हर तरह के तापमान का सामना करने के लिए बनाया जाता है।
इसका उपयोग ऐतिहासिक इमारतों को बनाते समय किया जाता है। यह माना जाता है कि इसकी क्षमता इतनी अधिक होती है कि यह कई हजार फीट की गहराई में भी प्रत्येक वातावरण में स्वयं को सुरक्षित रख सकता है। राम मंदिर से पहले इस तरह के टाइम कैप्सूल को दिल्ली के लाल किला और आईआईटी कानपुर के कॉलेज में रखा गया था।
हालाँकि मंगलवार दोपहर 3:00 बजे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, जिसमें इस खबर को गलत बताया गया। इस ट्वीट में लिखा था, “राम मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल डाले जाने वाली खबर बिल्कुल गलत और मनगढ़ंत है। जब तक राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी न दी जाए, तब तक आप ऐसी किसी भी जानकारी को सत्य ना समझें।”