राजस्थान का सियासी ऊंट किस ओर करवट लेगा! ये कोई नहीं जानता। हर दिन के साथ राज्य में राजनैतिक माहौल पूरी तरह से गर्माता जा रहा है। प्रदेश की सियासी लड़ाई के पहले राउंड में जहां सचिन पायलट ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सकते में ला दिया तो अगले ही दौर में सचिन पायलट की डिप्टी CM की कुर्सी छीनने का बाद अशोक गहलोत ने इस जंग को और दिलचस्प कर दिया। पार्टी से सदस्यता जाने के बाद सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने सचिन पायलट को राहत तो दी।
लेकिन अब अशोक गहलोत भी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि ये लड़ाई लंबी चलने वाली है। यही कारण था कि शुक्रवार को अशोक गहलोत अपने विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे। गहलोत का दावा है कि उनके पास 109 विधायको का समर्थन है। राजभवन पहुँच कर मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की। अशोक गहलोत अब लगातार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं। हालांकि अशोक गहलोत के लिए ये इतना आसान नहीं रहने वाला क्योंकि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में राज्यपाल किसी भी पार्टी को फ्लोर टेस्ट की इजाजत नहीं दे सकते।
आखिर फ्लोर टेस्ट क्यों कराना चाहते हैं गहलोत?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब अशोक गहलोत 109 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं तो ऐसा क्या कारण है कि उन्हें जल्दबाजी में फ्लोर टेस्ट की मांग करनी पड़ रही है? आमतौर पर इस स्थिति में विपक्ष फ्लोर टेस्ट की मांग करता हैं। लेकिन अभी तक बीजेपी के किसी भी सीनियर नेता ने राजस्थान में फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं की है।
ये हो सकते हैं फ्लोर टेस्ट के कारण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फ्लोर टेस्ट की मांग के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हो सकता है गहलोत को अपने विधायकों के टूटने का दर्द सता रहा हो। जिस वजह से वह फ्लोर टेस्ट के परीक्षण को कराकर अपनी सरकार पर आए इस संकट को टालना चाहते हों। अगर उन्होंने अभी बहुमत साबित कर दिया तो उनके सामने ये स्थिति नहीं आएगी। दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि अगर गहलोत सरकार गिरने से बच जाती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट और उनके समर्थकों के खिलाफ व्हीप जारी कर ऑडियो टेप कांड मामले में कार्यवाही कर सकती है।
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जिससे सचिन पायलट की मुश्किलें तो बढ़ ही जाएँगी, साथ ही उनका पार्टी में वापस आना भी मुश्किल हो सकता है। हाई कोर्ट पहले ही स्पीकर के आदेश को गलत ठहरा चुका है। गहलोत सरकार की नज़रें अब सुप्रीम कोर्ट पर हैं। दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट भी हाई कोर्ट की तरह आदेश पर फैसला लेगा तो भी गहलोत सरकार के लिए राज्य की सत्ता की लड़ाई इतनी आसान नहीं रहेगी। यही कारण है कि अशोक गहलोत विधानसभा सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट कराने की इतनी जल्दबाजी में हैं।
हमें किसी का डर नहीं: अशोक गहलोत
एक तरफ अशोक गहलोत फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनका कहना है कि उनकी पार्टी और समर्थक एकजुट हैं और उन्हें किसी भी तरह का डर नहीं है। उनका कहना है वह बहुमत साबित करने को लेकर परेशान नहीं हैं लेकिन फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल पर दबाव डालना और राजभवन के बाहर गहलोत सर्मथकों का प्रदर्शन करना इस बात को दर्शाता है कि कहीं न कहीं अशोक गहलोत को अपनी सरकार गिरने का कोई डर जरूर सता रहा है।
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