25 जून 1975 को ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर भारत को एक अघोषित आपातकाल में ढकेल दिया गया था। जो 21 महीने चला था। इस आपातकाल में मीडिया की आजादी और भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को भी खत्म कर दिया गया था। आज 25 जून को आपातकाल के 45 साल पूरे हो चुके हैं और 45 साल पूरे होने पर आज गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर के जरिए कांग्रेस पर कई हमले किए। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में लिखा, “आपातकाल खत्म होने के बाद देश में लोकतंत्र तो बहाल हुआ। लेकिन कांग्रेस पार्टी में सबसे पहले परिवार हित और उसके बाद देश हित रहा और कांग्रेस में आज भी वही जारी है।”
On this day, 45 years ago one family’s greed for power led to the imposition of the Emergency. Overnight the nation was turned into a prison. The press, courts, free speech…all were trampled over. Atrocities were committed on the poor and downtrodden.
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
गरीबों पर अत्याचार किया, अदालतों को निष्क्रिय किया: अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने 45 साल बाद इमरजेंसी को याद करते हुए कहा, “एक परिवार ने सत्ता के लालच में पूरे देश में आपातकाल लागू किया और रातों-रात पूरे देश को जेल में बदल डाला। मीडिया, अदालत और बोलने की आजादी पर पाबंदी लगा दी गई। गरीबों पर खूब अत्याचार किए गयें। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी मामलों पर भी बोलते हुए कहा, “कांग्रेस पार्टी के कई नेता पार्टी में घुटन महसूस करते हैं। पार्टी मीटिंग में जब वरिष्ठ नेता कोई बात कहते हैं तो उनकी बात को भी दबा दिया जाता है और पार्टी प्रवक्ता को बाहर निकाल दिया जाता है!’
During the recent CWC meet, senior members and younger members raised a few issues. But, they were shouted down.
A party spokesperson was unceremoniously sacked.
The sad truth is- leaders are feeling suffocated in Congress. https://t.co/GEbdKpn7A8https://t.co/Efsa8HWN82
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
“नसबंदी के तीन दलाल- इंदिरा, संजय और बंसीलाल!”
इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल में क्या-क्या अत्याचार हुए हैं, सारा देश जानता है। इसी के साथ एक और कार्यक्रम भी आपातकाल के दौरान चढ़ाया गया, जिसे नसबंदी नाम दिया गया। जब यह नसबंदी कार्यक्रम शुरू हुआ तो लोगों ने इसका समर्थन किया लेकिन कुछ समय के बाद यह जनता पर थोपे जाने लगा उस समय जो लोग सरकारी नौकरी में थे उन्हें यदि अपनी नौकरी बचानी थी तो उन्हें अपनी नसबंदी कराना सबसे जरूरी था। उस समय एक नारा सबसे ज्यादा प्रचलित था, “नसबंदी के तीन दलाल इंदिरा संजय बंसीलाल!”
Due to efforts of lakhs of people, the Emergency was lifted. Democracy was restored in India but it remained absent in the Congress. The interests of one family prevailed over party interests and national interests. This sorry state of affairs thrives in today’s Congress too!
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
Image Source: Tweeted by @AmitShah