मजबूरी और भूखमरी के बीच फंसे चांद मोहम्मद, माँ की दवा और फीस के लिए LNJP में उठाना पड़ रहा है कोरोना मरीजों का शव

दिल्ली में रहने वाले 12वीं के छात्र चांद मोहम्मद डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन मजबूरी और भुखमरी के चलते उन्हें दिल्ली के LNJP अस्पताल में कोरोना के शवों को उठाना पड़ रहा है।

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आज से 4 महीने पहले तक देश में सब ठीक चल रहा था। लेकिन फिर कोरोना के चलते 2 महीने तक लागू किये गए लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से चौपट कर दिया। ऐसे ही एक छात्र है चांद मोहम्मद। 12वीं कक्षा के छात्र चांद मोहम्मद डॉक्टर बनना चाहते हैं, जिसके लिए वह पढ़ाई भी कर रहे थे। उनके साथ सब कुछ ठीक भी चल रहा था लेकिन फिर अचानक कोरोना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया।

लॉकडाउन में चांद मोहम्मद की भाई की नौकरी चली गई। भाई की नौकरी के बाद घर की जिम्मेदारी चांद मोहम्मद पर आ गई। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि उन्हें अपनी माँ की दवाई और भाई बहनों की पढ़ाई के लिए दिल्ली के LNJP अस्पताल में कोरोना मरीजों के शवों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल चांद मोहम्मद की माँ थायरॉइड बीमारी से पीड़ित है लेकिन उनके परिवार के पास इलाज़ के पैसे नहीं है।

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चांद मोहम्मद दिल्ली के सीलमपुर में रहते हैं। भाई की नौकरी जाने के बाद अभी तक परिवार का गुजारा पड़ोसियों से मिले राशन और छोटे मोटे काम धंधे से चल रहा था। लेकिन जब लोगों ने साथ छोड़ा तो उन्हें मजबूरन LNJP अस्पताल में दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक कोरोना के शवों को उठाने का काम करना पड़ रहा है। चांद मोहम्मद का कहना है कि उन्हें पता है कि इस काम में उनके और उनके परिवार के लिए सबसे ज्यादा जोखिम है, लेकिन जरूरतों और भुखमरी से बचने के लिए ये काम करना पड़ रहा है।

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