भारत के प्रधानमंत्री अपनी युवावस्था में अपनी मां को प्रतिदिन पत्र लिखा करते थे। कभी किसी खुशी के बारे में तो कभी दुख के बारे में पत्र लिखा करते थे। प्रतिदिन रात में सोने से पहले हुए एक पत्र अपनी मां के नाम अपनी डायरी में लिखा करते थे। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिखे गए इन्हीं पत्रों को “लेटर्स टू मदर” नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। अपनी मां के लिए लिखे गए पत्रों में अपनी मां को जगत जननी नाम से संबोधित करते थे इस पुस्तक को ‘हॉर्पर कार्लिंग्स इंडिया’ ने प्रकाशित किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पुस्तक के बारे में कहा था
“मैं लेखक नहीं हूं हम में से अधिकांश नहीं हैं लेकिन हर कोई व्यक्ति अभिव्यक्ति चाहता है और इसी को जाहिर करने की इच्छा प्रबल हो जाती है तब कागज और कलम के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता है जरूरी नहीं है कि लिखना हो। आत्म चिंतन करना व दिल और दिमाग में क्या चल रहा है और क्यों हो रहा है इसके लिए करना होता है।”
प्रधानमंत्री हर रात अपनी मां जगत जननी को लिखे हुए पत्रों को कुछ महीनों के बाद या तो फाड़ देते थे या उन्हें आग के हवाले कर देते थे परंतु उनकी डायरी के कुछ पन्ने अभी भी सुरक्षित रह गए जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने 1986 में लिखा था। 2017 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली और सिनेमा पर कई किताबें लिख चुकीं ”भावना सोमाया” ने कहा कि मेरे विचार से, एक लेखक के रूप में नरेंद्र मोदी की ताकत उनका भावनात्मक हिस्सा है।
हिमालय की गोद में रहे मोदी
प्रधानमंत्री के जीवन पर अध्यात्म और साधुओं का बहुत अधिक प्रभाव था। हिमालय में कई महीनों तक साधुओं के साथ रहे। दो साल बाद जब वह हिमालय से वापस लौटे तब उन्होंने संन्यास जीवन त्यागने का फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन का एक पक्ष ऐसा है, जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते। वो पक्ष है उनके हिमालय पर रहने का। मोदी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अज्ञातवास के तौर पर कई साल हिमालय पर जाकर बिताए। उस दौरान उनके परिवार तक को नहीं पता था कि वो कहां हैं, जीवित हैं या नहीं और क्या कर रहे है? वे अपने जीवन आदर्श के पदचिन्हों पर चलकर हिमालय चले गए थे। क्योंकि विवेकानद जी ने भी वहां कुछ समय बिताया था।