भारतीयों की ये पुरानी आदतें फेर सकती हैं कोरोना वायरस की लड़ाई पर पानी

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प्रतीकात्मक चित्र

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार तथा डॉक्टरों द्वारा बार-बार हाथ धोने, साफ-सफाई रखने और सोशल डिस्टेंसिंग आदि निर्देश दिए गए। जिसकी मदद से कोरोना की लड़ाई को आसानी से जीता जा सकता है। लेकिन कोरोना की इस लड़ाई के खिलाफ जीत तभी सम्भव है जब हम अपनी उन आदतों को भी छोड़े जिससे कोरोना वायरस को फैलने में मदद मिल सकती है। सबसे पहले भारत के वह तमाम लोग जो सड़क पर चलते हुए या सार्वजनिक स्थानों पर थूक देने की आदत से विवश है। सड़क पर थूकना ना सिर्फ अशिष्टता है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद खतरनाक है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कोरोना वायरस थूकने से भी फैलता है। कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति अगर खुले में थूकता है तो उसके मुंह की लार 24 घंटे के अंदर संक्रमण फैला सकती है।

इसलिए लोगों को सड़क पर थूकने से रोकने के लिए भी एक अभियान चलाना चाहिए तभी लोगों में जागरुकता आएगी क्योंकि थूकने की आदत लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती है। थूकने वालों में सबसे ज्यादा वो लोग होते हैं जो पान खाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति थूक के पास से गुजरता है तो उसे उस जगह को छूने से बचना चाहिए। अगर थूक गलती से कपड़ों पर आ गया है तो जल्द से जल्द अपने कपड़े बदल लें और उन कपड़ों को गर्म पानी में धोकर कीटाणुरहित कर लें। अगर बाहर जाकर आपको थूकने की जरूरत महसूस होती है तो इसे बहुत सावधानी के साथ करें। अपने साथ टिश्यू पेपर ले जाएं और थूक या बलगम निकालने के बाद उसे तुरंत डस्टबिन में फेंक दें।

अगर आप में नाक बहने, गले में खराश या छींकने जैसे लक्षण हैं तो बाहर जाने से बचें। गुजरात सरकार ने पहले ही कोराना वायरस फैलने की आशंका के चलते सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया है। गुजरात सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकने को दंडनीय अपराध बना दिया है। रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोगों से सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकने की अपील कर चुके हैं। अपने कार्यक्रम में पीएम ने कहा था कि यह पता होने के बावजूद कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना गलत है, लोग यह करते हैं जिसे रोकने का समय अब आ गया है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कभी नहीं करने से बेहतर देर से शुरू करना है। लोगों को अब थूकने के खतरनाक परिणाम समझ में आने लगे हैं। जो वातावरण और स्वच्छता को भी प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि थूकने पर रोक लगाने से बुनियादी स्वच्छता बढ़ेगी और COVID-19 के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी।

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