मस्जिद को शक्तिशाली बनाने के लिए, एक हिंदू बच्चे की दे दी गई बलि?

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प्रतीकात्मक चित्र

बिहार स्थित गोपालगंज के कटेया थाना क्षेत्र के बेलाडीह गाँव में एक अजीब घटना सामने आई है जिसने बिहार पुलिस व प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। ये मामला 28 मार्च, 2020 का बताया जा रहा है जो अब प्रकाश में आया है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनके गाँव में एक नई मस्जिद बनी है और वहीं रह रहे मुस्लिमों के बीच ये धारणा आम थी कि अगर इस मस्जिद में किसी हिंदू की बलि चढ़ाई जाएगी तो ये शक्तिशाली हो जाएगी व इसका प्रभाव बढ़ जाएगा। ज्ञात हो कि पीड़ित राजेश जायसवाल गाँव में ही पकौड़े बेचकर अपना घर चलाते थे। उनका कहना है कि उनके 15 वर्षीय बेटे रोहित को कुछ मुस्लिम लड़के उनके घर से 28 मार्च को क्रिकेट खेलने के बहाने से अपने साथ ले गए थे। राजेश के अनुसार, “उनके बेटे रोहित को उन बच्चों के द्वारा पहले मस्जिद में ले जाया गया, जहाँ उसकी बलि दी गई। वहीं, मस्जिद में उन बच्चों के अभिभावक पहले से ताक लगाये बैठे थे जिन्होंने इस क्रूरता को अंजाम दिया।” बहरहाल, पुलिस आरोपितों को पकड़ चुकी है और अब मामला रफा-दफा करती दिख रही है। एफआईआर के मुताबिक सभी वयस्क आरोपितों के नाम हैं- मेराज अंसारी, निजाम अंसारी और बशीर अंसारी। शेष आरोपित 18 साल से कम आयु के बताए जा रहे हैं। जबकि पीड़ित परिवार का आरोप है कि इन सभी पर कार्रवाई का सिर्फ नाटक भर किया गया है इसीलिए कुछ ही दिनों बाद उन सभी को रिहा कर दिया गया।

बच्चे की लाश, घटना के 18 घंटे बाद बेलाडीह गाँव से 4 किलोमीटर दूर एक नदी में मिली। पास की ही झाड़ी से रोहित के कपड़े भी बरामद हुए। रोहित की लाश को जब नदी से बाहर निकाला जा रहा था तब उसके पिता राजेश भी वहीं मौजूद थे। उनके अनुसार जब उनके बेटे की लाश निकाली गई तब ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी कुछ ही घंटों पहले ही उसकी गला दबाकर हत्या करके उसे वहाँ डाल दिया गया हो। ऐसे में 18 घंटे पहले की गई हत्या वाली बात गले नहीं उतरती। पीड़ित राजेश के अनुसार उनके बेटे की लाश मिलने के बाद थाना प्रभारी अश्विनी तिवारी ने 22 दिनों तक मृतक रोहित की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दबा कर रखी और जितना हो सके उन्होंने इस मामले को नज़रंदाज़ किया।

गौरतलब है कि ये घटना लोगों की नज़र में तब आई जब पिछले दिनों पीड़ित राजेश और उनकी छोटी बेटी का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। राजेश ने वीडियो में न्याय की गुहार लगाई। वहीं, उनकी छोटी बेटी ने वीडियो में पुलिस पर कई संगीन आरोप लगाये हैं। राजेश की छोटी बेटी ने आरोप लगाया कि उनके भाई को मार डाला गया है और अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला तो उनके माता-पिता आत्महत्या कर लेंगे। पुलिस पर आरोपितों से पैसे खाने व जाँच करने में ढील बरतने की बात भी बच्ची द्वारा वीडियो के माध्यम से कही गई। पीड़ित पिता ने ये भी आरोप लगाया कि थानाध्यक्ष ने उनसे कहा कि अगर वे एफआईआर न दर्ज करवाएं तो सरकार द्वारा उन्हें 8 लाख रूपए बतौर मुआवज़ा दिला दिया जाएगा।

पीड़ित राजेश का एक और वीडियो वायरल हो रहा जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह थानाध्यक्ष अश्विनी तिवारी राजेश व उनकी पत्नी के साथ मारपीट व अभद्रता करने पर उतारू हैं। वहीं, अब राजेश द्वारा ये आरोप लगाए गए हैं कि उनकी पत्नी के साथ थानाध्यक्ष ने अश्लील हरकत की है। राजेश के अनुसार थानाध्यक्ष ने पहले उन्हें गाली दी, उनकी पत्नी को गाली दी और फिर उनके साथ मारपीट की। थानाध्यक्ष यहीं तक नहीं रुके और उन्होंने हद तब पार कर दी जब उन्होंने अपनी पेंट खोलकर राजेश की पत्नी की तरफ अश्लील इशारे कर दिए।

ताज़ा जानकारी के अनुसार, राजेश अपने परिवार सहित बिहार के गाँव को छोड़कर अब उत्तर प्रदेश में जा बसे हैं। ऐसा करने के पीछे वे बताते हैं कि उन्हें गाँव में अब रहने में डर था कि उनपे कभी भी हमला किया जा सकता है और न्याय मिलना तो दूर उल्टा उन्हें ही प्रताड़ित किया जाएगा जैसे कि अभी किया जा रहा है। राजेश अपनी समस्याओं की जड़ गाँव के थानाध्यक्ष को मानते हैं जो उन्हें न्याय दिलाना तो दूर बल्कि उनपर ही ज़ुल्म करने से बाज़ नहीं आ रहे। राजेश ने ये भी बताया कि उनके गाँव की इस नई मस्जिद के पास बहुत पैसा है और वहाँ विदेशों से भी फंडिंग होती आई है। जब भी स्थानीय मुस्लिम समाज के लोगों को ऐसे मामलों में पैसों की दिक्कत आड़े आती है तब वे इन विदेशी फंडिंग का ही सहारा ले लेते हैं। गौरतलब है कि इस मामले में पकड़े गए आरोपितों में से कुछ विदेश से कमा कर लौटे हैं तो कुछ के परिजन विदेश में हैं।

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