कोविड-19 के बीच भी पाक अपनी नापाक हरकतों से नहीं आ रहा है बाज

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आज जब दुनिया कोविड-19 के मकड़जाल से खुदको आज़ाद करने की जद्दोजहद में लगी हुई है ऐसे में भला कौन-सा देश होगा जो इस बीच भी आतंकवाद फैलाने का काम कर रहा होगा? मुमकिन है आपके दिमाग में जो सबसे पहला नाम आया होगा वो पाकिस्तान ही होगा। जब-तब पाकिस्तान (Pakistan) सरहद पार से सीज़फायर का उलंघन करता ही रहता है फिर चाहे अभी रमज़ान के ही महीने की बात क्यों न की जाए जब कल ही पाकिस्तानी सेना द्वारा पुंछ जिले के कृष्णा घाटी सेक्टर में भारी गोलीबारी करने की घटना सामने आई। इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारतीय सेना ने पाकिस्तान की दो चौकियां पूरी तरह से तबाह कर डालीं। कहने का आशय सिर्फ इतना सा है कि भारत चाह कर भी पाकिस्तान को अपने पड़ोस से नहीं हटा सकता। ये नियति है जिसे झुटलाया भी नहीं जा सकता।

बेगुनाहों की जान लेता कट्टरवाद

हाल ही में हुई कुछ घटनाओं को जानकार पाकिस्तान की भारत के प्रति मंशा और स्पष्ट हो गई है। जैसा कि गर्मी में हर साल पाकिस्तान (Pakistan) का यही इरादा होता है कि कैसे ज़्यादा-से-ज़्यादा आतंकियों की सीमापार से कश्मीर में घुसपैठ करवाई जाए जिससे वे वहाँ आतंकी गतिविधियों में शामिल हों और कश्मीर में अमन-चैन का माहौल खराब किया जा सके। ऐसी ही एक घटना कश्मीर के केरन सेक्टर में 5 अप्रैल को घटित हुई जिसमें एकदम आमने-सामने हुई मुठभेड़ में पांच आतंकवादी तो मारे गए पर इसमें हमारे भारतीय स्पेशल फोर्सेज के पांच कमांडो शहीद हो गए। पाकिस्तान कभी छुप कर सीमापार से यहां गोलीबारी करता है तो कभी आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ करवाता है पर इतना तो तय है कि वो कभी सुधरने वाला नहीं बल्कि उसका तो लक्ष्य निश्चित है कि उसे हर हाल में भारत को नुकसान पहुंचना है और जिसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसके पहले अफगानिस्तान में हुई 25 मार्च की घटना भी भला कोई कैसे भुला सकता है जब कुछ आतंकवादियों द्वारा काबुल के गुरुद्वारे हर रायसाहब पर हमला कर दिया गया था। आतंकवादियों के इस घिनौने कृत से 25 सिखों की जान चली गई थी जिनमें अधिकतर महिलाएं व बच्चे थे। इस घटना की ज़िम्मेदारी आइएसआइएस (ISIS) ने ली व इसमें सबसे चौकाने वाली बात जो सामने आई वो ये थी कि इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों में से एक केरल के कासरगोड का भारतीय नागरिक मोहसिन शामिल था। ऐसे में समझा जा सकता है कि आज मज़हबी कट्टरता किसी एक देश तक सीमित नहीं रह गई है। हम किसी और देश को ठीक नहीं कर सकते पर अपने नागरिकों में इस कट्टरता के बीज को तो उत्पन्न होने से तो रोक ही सकते हैं। कोई भी धर्म या मज़हब अगर इंसान की खुदकी वास्तविक पहचान कराने व मोक्ष के द्वार खोलने के बजाये सिर्फ खुदको महान और जो उससे वास्ता न रखे उसे दोयम दर्जे का समझे ऐसे में मतभेद होना स्वाभाविक है। धर्म या किसी का मज़हब अगर किसी को एक बेहतर इंसान बनाने की बजाए उसे आतंकी बना दे तो ऐसे में पूरे समाज को चिंतन करने की आवश्यकता है कि आखिर गलती क्या समझने में हो रही है।

कोरोना संकट में भी कश्मीरी राग

कोरोना संकट में भी पाकिस्तान अपने चिर-परिचित अंदाज़ में ही है और मौका आने पर वही कश्मीरी राग अलापने से बाज़ नहीं आताI मौका था कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई सार्क नेताओं की बैठक का जिसमें वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संवाद स्थापित किया गया। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान के अलावा बाकी सभी नेताओं ने अपनी उपस्थिति इसमें दर्ज करवाई। इमरान की जगह स्वास्थ्य सलाहकार ज़फर मिर्ज़ा उस कांफ्रेंस में मौजूद थे। सार्क देशों की इस कांफ्रेंस में इमरान खान का मौजूद न होना उनके बचकाने रवैये को ही जगजाहिर करता है कि उनकी विदेश नीति भारत को नीचा दिखाने तक ही सीमित है फिर भले ही ऐसा कर खुद उसकी ही जगहंसाई क्यों न हो। उसी कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सार्क देशों के लिए एक करोड़ डॉलर के कोष का भी एलान किया गया। जब सब सही जा रहा था तभी मिर्ज़ा ने वही कश्मीर का बेसुरा राग अलाप कर इस कांफ्रेंस को सियासी करना चाहा पर ऐसा हो नहीं पाया। इतना ही नहीं, इसके बाद जब भारत ने सार्क के व्यापार अधिकारियों की भी एक वीडियो कांफ्रेंस करवाई तो इसमें पाकिस्तान ने भाग ही नहीं लिया।

चुनौतियों के बीच भारत के लिए सुनहरा अवसर

आज जब कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर देश अपनी सुरक्षा में लगा हुआ है ऐसे में पाकिस्तान की सरकार इस महामारी से निपटने में नाकाम सिद्ध हो रही है। लॉकडाउन तो दूर वहां की सरकार इस कोरोना संकट में भी लोगों को मस्जिदों में एकत्रित होने की अनुमति दे रही है, इसी से समझा जा सकता है कि पाकिस्तानी सरकार अपने देशवासियों के लिए कितनी फिक्रमंद है। खुफिया जानकारियां तो ये भी आ रहीं हैं कि पाकिस्तान अपनी आइएसआइ व आर्मी की मदद से कोरोना संक्रमित हो चुके आतंकियों को भारत में घुसपैठ करवाना चाह रही है जिससे भारत (India) के अंदर महामारी फैल जाए। कुछ भी हो पर पाकिस्तान की तरफ से भारत पर यदा-कदा हमले होते ही रहेंगे इसलिए ज़रूरत है कि हम खुद इतने सशक्त बन जाएं कि हमपर किए गए दुश्मन के सारे प्रहार निष्प्रभावी हो जाएं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आज पाकिस्तान पे चीन का हाथ है ऐसे में भारत को इन दोनों देशों से सतर्क रहने की आवश्यकता है और अपनी विदेश नीति के बारे में एक नए सिरे से सोचने की ज़रूरत है। चीन से तभी निपटा जा सकता है जब हम उसके आर्थिक मकड़जाल से बाहर निकल आएं इसके लिए ज़रूरी है कि भारतीय बाज़ार को चीनी आयात के लिए कम-से-कम खुला रखा जाए। साथ ही भारत को ‘मेक इन इंडिया’ की योजनाओं को और लचीला बनाना पड़ेगा जिससे ज़्यादा-से-ज़्यादा विदेशी कम्पनियां भारत की ओर आकर्षित हों। कोरोना वायरस की उत्पत्ति का आरोप झेल रहा चीन आज दुनिया से अलग-थलग होने को मजबूर है। वहीं, खबरें ये भी आ रहीं कि कई विदेशी कम्पनियां अपना कारोबार चीन से समेटना चाह रही हैं। ऐसे में भारत के लिए ये एक सुनहरा अवसर है जब वो ऐसी कम्पनियों को अपने यहां व्यापार करने की पेशकश करे और उनके लिए योजनाएं बनाएं।

सजग व जागरूक बने भारत का हर वासी

पाकिस्तान और चीन की नीतियां स्पष्ट हैं कि वे भारत (India) के प्रति अपनी शत्रुता की भावना कभी नहीं छोड़ेंगी। ऐसे में भारत को भी अपनी नीतियां स्पष्ट कर लेनी चाहिए और अतीत में खाए धोखों से सबक लेना चाहिए। साथ ही इन दोहरी चुनौतियों से निपटने के लिए देश को अपनी आतंरिक सुरक्षा को और मज़बूत करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही देश में भी फैलते कट्टरवाद को काट देने की आज बेहद ज़रूरत है जिससे देश को आतंरिक खतरों से बचाया जा सके। इसके लिए सरकार के साथ देश (India) के हर एक देशवासी को सजग व जागरूक रहने की आवश्यकता है।

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