यादवपुर विश्वविद्यालय के दो विद्यार्थियों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो खांसने वाले व्यक्ति के कोरोना वायरस वाहक होने के संबंध में विश्लेषण कर सकेगा। विश्वविद्यालय के नवोन्मेष परिषद के एक शिक्षक ने मंगलवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के स्नातक के दो विद्यार्थियों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो खांस रहे व्यक्ति का पता लगाएगा और यह विश्लेषण करेगा कि क्या व्यक्ति कोरोना वायरस का संभावित मरीज हो सकता है। इस उपकरण का इस्तेमाल कोविड-19 के पहले स्तर के जांच के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह उपलब्ध आंकड़ों के तहत कोविड-19 के वाहक का पता लगाएगा।
जिससे इस वायरस के रोकथाम में मदद मिलेगी। इस गैर-संपर्क उपकरण में तस्वीर और आवाज वाले सेंसर लगे हुए हैं। अगर कोई व्यक्ति इस उपकरण से दूर भी है तो यह काम करेगा और एक ही समय पर खांस रहे कई लोगों की पहचान कर सकता है। इस उपकरण का इस्तेमाल कार्यालय, कक्षा सहित जमावड़े वाले अन्य स्थानों पर किया जा सकता है। शिक्षक ने बताया कि इस उपकरण का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थलों पर कोविड-19 के संदिग्ध का पता लगाने के लिए ड्रोन में भी किया जा सकता है। अन्येसा बनर्जी और अचल निल्हानी ने इस उपकरण का निर्माण प्रोफेसर पी वेंकटेश्वरन के मार्गदर्शन में किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, कोलकाता और कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने भी इस उपकरण को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है।