नई दिल्ली | कोरोना के प्रकोप का असर अब लोगों के स्वास्थ्य के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता नजर आने लगा है। इस महामारी के कारण भारत इस समय 49 दिन के लॉकडाउन का सामना कर रहा है। इस वज़ह से देश की अर्थव्यवस्था गर्त में पहुँच रही है। अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर निराशा से भरे संकेत दिए हैं। द कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (CII) ने बताया है कि यदि कोरोना वायरस का फैलना जारी रहा तो देश की सकल विकास दर (GDP) गिरकर 0.9 फीसद से 1.5 फीसद के बीच के स्तर तक पहुँच सकती है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण फिच रेटिंग्स ने अपने वैश्विक आर्थिक अनुमानों में कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान घटकर 0.8 प्रतिशत रह जाएगी जबकि बीते वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 4.9 प्रतिशत (अनुमानित) था। हालांकि रेटिंग एजेंसी ने ये भी कहा है कि 2021-22 में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रह सकती है। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी।
अप्रैल से जून तिमाही के लिए यह नकारात्मक 0.2 प्रतिशत और जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए यह नकारात्मक 0.1 प्रतिशत रह सकती है। वहीं अगर विश्व जीडीपी की बात करें तो इस बारे में अनुमान लगाते हुए फिच रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा कि विश्व जीडीपी में साल 2020 के अंत तक 3.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है, जिसका असर 2009 की मंदी के मुकाबले दोगुना होगा।