कोरोना वायरस के कारण उपजी परिस्थिति में भारतीय इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑनलाइन शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। शैक्षणिक संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग तैयार करने वाली संस्था क्वाकक्वारेल्ली सायमंड्स (क्यूएस) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।’कोविड-19: दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए जागने का समय’ शीर्षक रिपोर्ट क्यूएस आइ गौज द्वारा किए गए सर्वे पर आधारित है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं के समय छात्रों को सबसे ज्यादा कनेक्टिविटी और सिग्नल में बाधा का सामना करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी की बुनियादी संरचना इतनी गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पाई है कि देश भर में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं आसानी से उपलब्ध कराई जा सकें। ऐसा देखा गया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र भी तकनीकी चुनौतियों से उबर नहीं पाए हैं। मसलन, पर्याप्त बिजली आपूर्ति और प्रभावी कनेक्टिविटी की कठिनाइयां हैं।’
इसमें कहा गया, ‘कोविड-19 के संक्रमण के कारण दुनिया कक्षाएं मुहैया कराने के लिए परंपरागत तरीकों से ऑनलाइन माध्यम की दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन समुचित इन्फ्रास्ट्रक्चर के अभाव में शिक्षा के लिए ऑनलाइन माध्यम पर पूरी तरह निर्भरता दूर का ही सपना है।’लॉकडाउन में अकादमिक गतिविधियां ठप होने से कई लोग चिंतित हैं, ऐसे समय में मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने सिर्फ 26 दिन में नौ हजार ऑनलाइन कक्षाएं लगाईं। प्रदेशभर के 19 सरकारी विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की हैं। पिछले दिनों राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की गई समीक्षा में यह जानकारी सामने आई है। समीक्षा बैठक में सभी विश्वविद्यालयों ने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया था। लॉकडाउन में न सिर्फ विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की गई बल्कि चार हजार वीडियो लेक्चर भी विश्वविद्यालयों ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए। इसके जरिये विद्यार्थी कभी भी अपने विषय का लेक्चर ऑनलाइन देख सकते हैं।