लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में तबलीगी ज़मात के आयोजन के कारण पूरे देश में कोरोनावायरस का संकट और ज्यादा बढ़ गया है। इस कार्यक्रम में लगभग 2000 लोगों ने हिस्सा लिया था। इन लोगों में अब तक दर्जनों मरीज कोरोना वायरस के पॉज़िटिव पाए जा चुकें है, वहीं सैकड़ो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ऐसे में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर भी कई सवाल खड़े होने लगे है।
देश में कोई भी समस्या क्यों ना हो, हमारे बॉलीवुड स्टार्स अपनी राय जरूरत देते है। निज़ामुद्दीन कांड पर भी बी-टाउन के स्टार्स की ओर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने इंडिया टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि, “अगर सरकार ने कहा है लॉकडाउन तो इसका मतलब लॉकडाउन। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, किस धर्म को मानते हैं। ऐसा न करने से आप अपनी जिंदगी से तो खिलवाड़ कर ही रहे हैं और बहुत सारी जिंदगियों को भी खतरे में डाल रहे हैं।” नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की ये बात लोगों को काफी पसंद भी आ रही है।
Tahir Mehmood Saheb an scholar n the Ex chairman of the minority commision has asked Darul ulum Deoband to give a Fatwa to close all the mosques till corona crisis is there. I totally support his demand If Kaaba n the mosque in Madina canbe closed down why not Indian mosques
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 30, 2020
वहीं पूर्व राज्यसभा सांसद और प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। जावेद ने एक ट्वीट कर लिखा कि, “अल्प संख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन ताहिर महमूद ने दारुल उलूम देवबंद को कोरोनावायरस संकट के खत्म होने तक फतवा जारी कर सभी मस्जिदों को बंद रखने के लिए कहा है। मैं उनकी इस बात का समर्थन करता हूँ। अगर काबा और मदिना की मस्जिदें बंद हो सकती है तो भारत की क्यों नहीं।”
लेकिन जावेद मियां की ये बात शायद लोगों को पसंद नहीं आई। सोशल मीडिया पर लोग जावेद से सवाल कर रहे है कि लॉकडाउन के बावजूद फतवा जारी करना जरूरी है क्या। वहीं कुछ लोग अख्तर साहब से कह रहे है कि ये देश संविधान और सरकार द्वारा चलाया जाता है, ना कि किसी फतवे के द्वारा। गौरतलब है कि जावेद अख्तर हर बार अपने ट्वीट के जरिए विवादों में आते रहते है। इन कमेंट्स के बाद अभी तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।