दिल्ली में हुए दंगे के बाद सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव बनाने की तैयारी में है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक नई गाइडलाइन जारी करने वाली है। इसका मकसद फेक न्यूज, अफवाह और सेंसिटिव कॉन्टेंट फैलने से रोकना है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक होम सेकरेट्री के साथ इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी और इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर्स ने मीटिंग की है। बैठक में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों सहित गूगल, ट्विटर और फेसबुक इंडिया के ऑफिशियल भी मौजूद रहे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के आला अधिकारी ने कहा है कि इस दौरान कई इश्यू पर चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि सरकार इस बात को लेकर कन्फर्म है, कि इन सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को फेक न्यूज और नफरत फैलाने का टूल नहीं बनने दिया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक इस बार सराकर सोशल मीडिया कंपनियों से ऐसे स्टेप्स की मांग कर रही है जो दिखें। यानी इस फेक न्यूज, नफरत वाले कॉन्टेंट और अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके। हालांकि अभी तक किसी भी टेक कंपनी की तरफ से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है और ना ही कंपनियों ने इस पर कुछ कॉमेन्ट किया है। गौरतलब है, कि फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया कंपनियां हेट स्पीच और फेक न्यूज को लेकर कई नए फीचर्स और ऐल्गोरिद्म में बदलाव करती आई हैं। लेकिन दिल्ली दंगों के दौरान देखा गया है, कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अफवाह और नफरत वाले वीडियोज और कॉन्टेंट तेजी से वायरल हो रहे थे I IT मिनिस्ट्री के अधिकारी ने अखबार से कहा है कि मीटिंग हो चुकी है और अब नए मेजर्स लेने का वक्त है। कुछ नई गाइडलाइन्स जारी की जाएंगी। फेसबुक और ट्विटर की पॉलिसी है जिसके तहत आपको अगर कॉन्टेंट में कोई समस्या लगे तो आप इसे रिपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन यहां एक शार्प लाइन है। जिस वजह से ज्यादातर बार फेसबुक नफरत और अफवाहों वाले वीडियोज को रिपोर्ट के बाद भी डिलीट नहीं करता है। अब देखना ये महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार की गाइडलाइन को ये कंपनियां मानती हैं या नहीं?