सीडीएस जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 12 लोगों के अकस्मात निधन ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है। भारत का प्रत्येक नागरिक उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर देश के कुछ कट्टरपंथी उनके निधन पर उन्हें निशाना बना रहे हैं। इसी बात से विदेश के बहुत सारे लोगों को आपत्ति है और होनी भी चाहिए। जो वीर देश के लिए शहीद हो जाते हैं उनके प्रति इस तरह का अभद्र व्यवहार कम से कम हिंदुस्तान में तो बर्दाश्त नहीं होना चाहिए। कट्टरपंथियों के इस ही व्यवहार से आहत होकर जाने-माने फिल्म डायरेक्टर अली अकबर ने बड़ा फैसला ले लिया है।
हिंदू धर्म अपनाएंगे अली
फेसबुक के जरिए सीडीएस रावत को श्रद्धांजलि देने वाले फिल्म निर्देशक अली अकबर ने कहा, ‘इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं इसलिए मैं अपना धर्म छोड़ रहा हूँ, न मेरा और न ही मेरे परिवार का कोई और धर्म है।’ अली अकबर ने जब सीडीएस रावत की वीरगति पर लाइव वीडियो बनाना शुरू किया तो कट्टर इस्लामियों ने उनके वीडियो पर हजारों की संख्या में लॉफिंग की इमोजी लगाकर इसका मजाक उड़ाया, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुईं।
अकबर ने कहा कि इस्लाम के शीर्ष धर्मगुरुओं या नेताओं ने भी ‘देशद्रोहियों’ के इस तरह के कार्यों का विरोध नहीं किया है जिन्होंने एक बहादुर सैन्य अधिकारी का अपमान किया है और वह इसे स्वीकार नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि उनका धर्म से विश्वास उठ गया है। अली अकबर ने कहा, ‘आज, मैं जन्म से प्राप्त एक कपड़े को फेंक रहा हूं। आज से मैं मुसलमान नहीं हूँ। मैं भारत का हूँ। यह उन लोगों को मेरा जवाब है जिन्होंने भारत के खिलाफ हजारों इमोजी पोस्ट की थी। अली अकबर की पोस्ट पर फेसबुक पर मुस्लिम यूजर्स ने कड़ी आलोचना की और कुछ ने अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया। इस बीच कई यूजर पोस्ट ने अकबर का समर्थन किया और गाली देने वालों को फटकार लगाई।
इस्लामी कट्टरपंथियों पर निशाना
टीओआई से बात करते हुए, अकबर ने कहा कि सोशल मीडिया पर कई राष्ट्र विरोधी गतिविधियां होती हैं और रावत की मौत पर मुस्कुराना इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने कहा, ‘रावत की मौत की खबर पर मुस्कुराते हुए इमोजी के साथ टिप्पणी करने वाले और जश्न मनाने वाले अधिकांश यूजर्स मुस्लिम थे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि रावत ने पाकिस्तान और कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ कई एक्शन लिए थे। एक बहादुर अधिकारी और देश का अपमान करने वाली इन सार्वजनिक पोस्टों को देखने के बावजूद, शीर्ष मुस्लिम नेताओं में से किसी ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं ऐसे धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता।’