कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए खुशखबरी लेकर आएगा। इसका प्रमाण यह है कि अधिकतर किसान अब इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए विचार कर रहे हैं। लेकिन कुछ किसानों से भी हैं जो नहीं चाहते ये आंदोलन खत्म हो। वहीं किसानों के एक समूह का कहना है कि MSP की गारंटी को लेकर सभी किसानों को अपने राज्यों में जाकर आंदोलन करना चाहिए। इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि ‘सरकार ने तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि आंदोलन का स्वरूप बदला जाए। ज्यादातर पंजाब के किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं से जाना चाहते हैं। हम सब लोगों को एकमत में लाने की कोशिश कर रहे हैं। हम 4 तारीख की बैठक में दिल्ली की सीमाओं से जाने के लिए एकमत फैसला लाने की कोशिश करेंगे। हम जब भी उठेंगे, साथ में ही उठेंगे। अब कुछ ही किसान संगठन हैं, जो रूकना चाहते हैं।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार एमएसपी पर गारंटी नहीं बना देती है, बिजली कानूनों को लेकर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं कर लेती तब तक किसानों का आंदोलन वापस नहीं होगा। उनकी इस राय को लेकर किसान संगठनों में ही मतभेद दिख रहे हैं। एक तरफ पंजाब के कई किसान संगठनों ने घर वापसी की बात कही है तो वहीं बुधवार को होने वाली 40 संगठनों की मीटिंग भी रद्द हो गई है। 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होनी है, जिसमें आगे की रणनीति को लेकर कोई फैसला होगा। लेकिन इस बीच बड़ी संख्या में सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से किसान जाते दिख रहे हैं। आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए ऐलान के बाद गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर से किसान वापस जाने लगे हैं।