उत्तर प्रदेश के बागपत में मिले पृथ्वीराज चौहान के समय के सिक्के, किले में खजाना दबा होने की आशंका

दुर्लभ सिक्के बागपत जिले के दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे काठा गांव में मिले है। गांव में एक काफी प्राचीन टीला है, जिसमें यह सिक्के मिले है। गांव का टीला सिक्के मिलने के बाद चर्चात हो गया। तो वहीं, इतिहासकार अमित राय जैन ने ऐसा दावा किया है कि टीले में पृथ्वीराज चौहान के समय का खजाना दबा हो सकता है।

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सांकेतिक चित्र

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के दिल्ली सहारनपुर हाइवे से सटे हुए एक गांव में पृथ्वीराज चौहान के समय के सिक्के बरामद हुए हैं। जिस स्थान पर यह सिक्के जमा हुए हैं वह गांव का एक टीला है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस टीले में पृथ्वीराज चौहान के समय का खजाना दबा हो सकता है। इतिहासकार अमित राय जैन ने ऐसा दावा किया है कि टीले में पृथ्वीराज चौहान के समय का खजाना दबा हो सकता है।

शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि टीले से 16 दुर्लभ सिक्के मिले है। ये पृथ्वीराज चौहान और उनके बाद के शासक राजा अनंगपाल तोमर, राजा चाहडा राजदेव, राजा मदन पाल देव के समय के हैं। वहीं, जिस स्थान पर ये सिक्के मिले हैं, ये बागपत के प्राचीन किले के महत्व को सिद्ध करता है। इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम सिद्ध होगी, क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रंखला प्राप्त होना, वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के आधिपत्य को सिद्ध करता है।

इतिहासकार डॉ अमित राय जैन के अनुसार इन सिक्कों का निर्माण बिलन धातु से किया गया है, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिश्र करके किया जाता था। चांदी क्योंकि अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। यहां से प्राप्त सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नामों का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जा सका है।

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