आज गजलों के सम्राट और मखमली आवाज के जादूगर Jagjit Singh की पुण्यतिथि है। Jagjit Singh ने अपनी मखमली आवाज के माध्यम से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया। दुनिया के किसी भी शायर ने कोई भी ग़ज़ल लिखी हो अगर उसे Jagjit Singh ने अगर अपने गले से गा दिया तो वह गजल हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गई। Jagjit Singh दुनिया में लाखों लोगों के आदर्श हैं। दुनिया में लाखों करोड़ों प्रशंसक जगजीत सिंह की आवाज के दीवाने हैं। लेकिन असलियत में Jagjit Singh मोहम्मद रफी साहब को अपना आदर्श मानते थे। जगजीत सिंह के पिता चाहते थे कि जगजीत यूपीएससी क्लियर करें या फिर इंजीनियर बनने की तैयारी करें। लेकिन जगजीत सिंह ने संगीत को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए की पढ़ाई शुरू की थी, लेकिन लगभग दो साल तक इसकी कक्षाओं में जाने के बाद भी इसे कभी पूरा नहीं किया।
जगजीत सिंह पहले भारतीय संगीतकार थे, जिन्होंने 1987 में ‘बियॉन्ड टाइम’ शीर्षक से एक डिजिटल एल्बम रिकॉर्ड किया था। इन 1982 में उनके संगीत कार्यक्रम ‘लाइव एट रॉयल अल्बर्ट हॉल’ के टिकट तीन घंटे में बिक गए थे। 23 सितंबर, 2011 को ब्रेन हैमरेज होने के कारण जगजीत को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया और 10 अक्टूबर को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन के बाद 2014 में भारत सरकार ने जगजीत सिंह के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया था।
मशहूर शायरों की वे गजलें जिन्हें जगजीत सिंह ने गाया
- चिट्ठी न कोई संदेश
- आपको देखकर देखता रह गया
- होठों से छू लो तुम
- तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
- होशवालों को खबर कहां
- सरकती जाए है रुख से नकाब
- कल चौदवीं की रात थी
- तेरे आने की जब खबर महके
- हमकों यकीं है सच कहती थी
- तेरे बारे में जब सोचा नहीं था