प्रत्येक ग्रामीण को मिलेगा उसकी संपत्ति का पूरा अधिकार, जानिए प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के फायदे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश के 19 जिलों के 3000 गांवों में एक लाख 71 हजार हितग्राहियों को ऑनलाइन अधिकार अभिलेख का वितरण किया। प्रधानमंत्री ने सीहोर, हरदा और डिंडौरी जिले के हितग्राहियों से वर्चुअल संवाद भी किया।

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चित्र साभार: ट्विटर @BJP4India

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश के 19 जिलों के 3000 गांवों में 171000 हितग्राहियों को ऑनलाइन अधिकार अभिलेख का वितरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कई जिलों के लोगों से भी वर्चुअली संवाद किया। उन्होंने कहा, शुरुआती चरणों में स्वामित्व योजना को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और राजस्थान के कुछ गांवों में लागू किया गया था। इन राज्यों में गांवों में रहने वाले करीब 22 लाख परिवारों के लिए प्रॉपर्टी कार्ड तैयार हो चुका है।

पीएम मोदी ने कहा, ड्रोन टेक्नोलाजी से किसानों को, मरीजों को, दूर-दराज के क्षेत्रों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले इसके लिए हाल ही में अनेक नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। ड्रोन बड़ी संख्या में भारत में ही बने, इसमें भी भारत आत्मनिर्भर हो, इसके लिए PLI स्कीम भी घोषित की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि स्वामित्व योजना सिर्फ कानूनी दस्तावेज देने की योजनाभर नहीं है, बल्कि ये आधुनिक टेक्नालाजी से देश के गांवों में विकास और विश्वास का नया मंत्र भी है।

क्या है स्वामित्व योजना?

सामाजिक-आर्थिक रूप से एक सशक्त और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना के रूप में स्वामित्व (सर्वे ऑफ़ विलेजेज एंड मैपिंग विथ इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरियाज) का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल, 2020 को किया गया था। इस योजना में मैपिंग और सर्वेक्षण के आधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग करके ग्रामीण भारत को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। यह ग्रामीणों द्वारा ऋण और अन्य वित्तीय लाभों का फायदा उठाने के लिए संपत्ति को वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह योजना 2021-2025 के दौरान देशभर के लगभग 6.62 लाख गांवों को कवर करेगी। इस योजना के पायलट चरण को 2020-2021 के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और पंजाब एवं राजस्थान के चुनिंदा गांवों में लागू किया गया था।

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