मुफ्त राशन लेने वाले किसानों ने सरकार को बेचा 200 करोड़ का अनाज, प्रशासन ने शुरू की जाँच शुरू

मुफ्त का राशन लेने वाले 66 हजार राशनकार्ड धारकों ने सरकार को ही दो सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का अनाज बेचा है। इनमें प्रत्येक राशनकार्ड धारक ने कम से कम तीन लाख रुपये से ज्यादा का गेहूं व धान सरकारी क्रय केंद्रों पर जाकर बेचा है।

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केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य के लोगों को कोरोना संक्रमण के समय में मुफ्त राशन बाटा बांटा गया था। आपको बता दें कि प्रदेश में 40 लाख 79 हजार अंत्योदय और तीन करोड़ 19 लाख पात्र गृहस्थी के यानी कुल तीन करोड़ 60 लाख राशनकार्ड धारक हैं। इनमें कुल 14 करोड़ 87 लाख यूनिट दर्ज हैं जिन्हें प्रतिमाह प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना में मुफ्त का राशन वितरण किया जा रहा है। अब खबर सामने आ रही है कि मुफ्त का राशन लेने वाले 66 हजार राशनकार्ड धारकों ने सरकार को ही दो सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का अनाज बेचा है। इनमें प्रत्येक राशनकार्ड धारक ने कम से कम तीन लाख रुपये से ज्यादा का गेहूं व धान सरकारी क्रय केंद्रों पर जाकर बेचा है।

जांच में यह सामने आया कि 66 हजार राशनकार्ड धारक ऐसे हैं जिन्होंने अपने पास कृषि भूमि दर्शाते हुए रबी और खरीफ में तीन लाख रुपये से ज्यादा का गेहूं व धान क्रय केंद्रों पर बेचा है। नियमानुसार जिस परिवार की आय शहरी क्षेत्र में तीन लाख और ग्रामीण क्षेत्र में दो लाख रुपये से ज्यादा है उसका राशनकार्ड नहीं बन सकता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में निर्धारित आय से एक लाख से ज्यादा का अनाज वाले मुफ्त अनाज के लिए अपात्र हैं।

जिलाधिकारियों को भेजी गई जांच का मुख्य बिंदु यह तो है ही कि अपात्रों को कैसे राशन वितरण किया गया। साथ ही यह भी है कि कहीं मुफ्त का राशन लेकर क्रय केंद्रों पर तो नहीं पर बेच दिया। या फिर राशन माफिया ने सेटिंग कर इस तरह का खेल न खेला हो। मामले में सभी जिलाधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए हैं। 15 दिन में पूरी रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद इन पर कार्रवाई होगी।

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