दुनिया में विभिन्न प्रकार के फूल पाए जाते हैं। किसी व्यक्ति को गुलाब का फूल बहुत पसंद होता है तो किसी व्यक्ति को कमल का फूल। बहुत सारे पुष्प ऐसे भी होते हैं जो बहुत समय के बात खिलते हैं और उनका अपना एक महत्व होता है। आजकल 1300 से 2400 मीटर की ऊंचाई पर खिलने वाले फूल नीलकुरंजी बहुत ज्यादा चर्चाओं में है। आपको बता दें यह फूल बहुत ऊंचाई पर खिलते हैं। यह फूल 12 वर्षों के इंतजार के बाद कोडगू जिले के मंडलापट्टी हिल्स पर नजर आये हैं। इसका पौधा 30-60 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। इन फूलों के खिलने से पहाड़ियों का रंग भी पूरी तरह से नीला हो जाता है, जिस वजह से यहां के पहाड़ों को नीलगिरी नाम दिया गया है।
आपको बता दें कि आखिरी बार ये फूल (neelakurinji flower) साल 2006 में खिला था औऱ इसके बाद पिछले साल भी ये फूल खिला था। मुन्नार में नीलकुरिंजी फूलों (neelakurinji flower) का मौसम जुलाई से अक्टूबर के बीच में होता है। साल 2006 में जब ये फूल खिले थे तो उस पहाड़ी का नजारा बहुत ही शानदार था। दुनियाभर से 3 लाख पर्यटक इसे देखने के लिए यहां पहुंचे थे। केरल पर्यटन विभाग के मुताबिक 2018 में ये 8 लाख तक पहुंची है।
नीलकुरिंजी या ‘स्ट्रोबिलांतेस कुंतियानम’ की 40 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से अधिकतर प्रजातियों का रंग नीला ही होता है। ‘नील’ का शाब्दिक अर्थ है ‘ब्लू’ और कुरिंजी नाम इस क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा दिया गया नाम है। मून्नार में, आप इस अद्भुत नज़ारे को कोविलूर, कडवरि, राजमला तथा इरविकुलम नैशनल पार्क से देख सकते हैं। इरविकुलम दरअसल संकटापन्न नीलगिरि तहर (Tahr) का स्थान है। इस जाति के ज्यादातर जंतु यहीं पाए जाते हैं।