ओलंपिक खेलों का दौर अब समाप्त होने की कगार पर है। भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने अंतिम दिन भारत को लंबे समय के बाद गोल्ड दिलाकर इतिहास रच दिया है। चारों तरफ जश्न का माहौल है.. राजनेताओं से लेकर आम जनता भी इस जीत का जश्न मना रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक के इन खेलों में मिलने वाले पदक (Olympic Medal) की यानी मेडल्स कैसे बनते हैं? इन्हें बनाने में किन वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है? और कौन सा देश इनका निर्माण करता है? आज के इस लेख में हम इस राज से पर्दा हटाएंगे-
टोक्यो ओलंपिक में दिए जाने वाले सभी 5000 पदक जापान के लोगों के द्वारा सन 2017 से 2 सालों में दान किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को रिसाइकल करके बनाए गए हैं। इस मुहिम में जापान के लगभग 90% शहरों के लोगों ने भाग लिया था। आपको बता दें इस मुहिम के अंतर्गत लगभग 80 टन कचरे से 32 किलो सोना, 3500 किलो चांदी और 2200 किलो कांस्य प्राप्त हुआ है। इन पदकों का डिजाइन ग्राफिक डिजाइनर JUNICHI KAWANISHI के द्वारा तैयार किया गया है। ओलंपिक के लिए मेडल ((Olympic Medal)) तैयार करने हेतु एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसे JUNICHI KAWANISHI ने जीता था और उसके बाद ही उन्हें मेडल्स तैयार करने की अनुमति मिली।
मेडल में होता है कितना सोना
टोक्यो ओलंपिक में दिए जाने वाले पदक 85 सेमी व्यास के हैं। जो कि 7.7 मिमी मोटे हैं। मेडल का सबसे मोटा भाग 12.1 मिमी का है… गोल्ड मेडल 556 ग्राम, सिल्वर मेडल 550 ग्राम और ब्रॉन्ज मेडल 450 ग्राम का है। स्वर्ण पदक पूरी तरह सोने का नहीं होता है, चांदी के बने पदक पर 6 ग्राम सोने की परत चढ़ी है। वहीं रजत पदक चांदी का बना है। कांस्य पदक 450 ग्राम का है जो कि 95 प्रतिशत कॉपर और 5 प्रतिशत जिंक से मिलकर बना है। इसकी कीमत लगभग 3 हजार रुपये है। इन सभी मेडल्स की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है परंतु इन्हें जीतने के लिए कोशिश करने वाले खिलाड़ियों के लिए यह अनमोल होते हैं।