जिस दिन से संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है, उसी दिन से विपक्ष के हंगामे भी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। संसद में ना तो ठीक प्रकार से कार्यवाही हो रही है और ना ही किसी बिल पर चर्चा। केवल जासूसी और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट होकर सरकार का विरोध कर रहा है। सरकार के द्वारा लाया जा रहे किसी भी प्रस्ताव पर विचार तक नहीं किया जा रहा है। वास्तव में यह एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत बुरी स्थिति है। संसद के मॉनसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड को लेकर हंगामे की वजह से आम जनता यानी टैक्सपेयर्स के 130 करोड़ से अधिक रुपए बर्बाद हुए हैं।
एनडीटीवी ने सरकारी सूत्रों द्वारा जारी बयान के हवाले से बताया है कि जब संसद में किसी मुद्दे को लेकर गतिरोध पैदा होता है तो लोकसभा संभावित 54 में से केवल 7 घंटे काम करती है, जबकि राज्यसभा संभावित 53 में से 11 घंटे काम करती है। हिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा मॉनसून सत्र में अब तक सिर्फ 18 घंटे ही काम हुआ, जबकि संसद को 107 घंटे काम करना था। ऐसे में 89 घंटे का वक्त पूरी तरह से बर्बाद हुआ है। इसका मतलब है कि करदाताओं यानी टैक्सपेयर्स का 133 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
राज्यसभा की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, मॉनसून सत्र के पहले दो हफ्तों में नौ बैठकों में एक घंटा 38 मिनट प्रश्नकाल चल सका है। इसके अलावा एक घंटा 38 मिनट विधायी कार्य हुए इसमें सदस्यों द्वारा शोर-शराबे के बीच चार विधेयकों को पास किया गया। पहली बार राज्यसभा सचिवालय की ओर से प्रतिदिन बुलेटिन जारी किया जा रहा है। इसमें उन कार्यों का उल्लेख किया जाता है जिसे सदन में ना उठाया गया हो। पहले दो हफ्तों के लिए 130 शून्य काल निवेदन (सबमिशन) और 87 स्पेशल मेंनसेन के लिए तय थे। सभापाति की ओर से मंजूरी मिलने के बाद भी सदस्य जनहित के मुद्दे नहीं उठा सके। हालांकि हंगामे के बीच राज्यसभा में किशोर न्याय बाल देखभाल संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 सहित कुल चार विधेयक पास किए गए हैं।
उच्च सदन के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सभी दलों की बैठक व सत्र शुरू होने के पहले हफ्ते में सरकार और विपक्षी पार्टी के नेताओं से विधायी व दूसरे मुद्दों पर चर्चा करने को कहा था जिससे सदन का कामकाज सुचारू रूप से चल सके।