पश्चिम बंगाल में चुनावी परिणामों के बाद हुई हिंसा को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दे दिया है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि हिंसा को लेकर सभी मामलों में FIR दर्ज की जाये। इसके अलावा हिंसा के सभी लोगों का इलाज कराने और उन्हें मुफ्त में राशन देने की व्यवस्था भी राज्य सरकार करे। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह राशन उन लोगों को भी मिलना चाहिए, जिनका कार्ड नहीं बना है। उच्च न्यायालय के द्वारा दिया गया ये आदेश बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ममता सरकार की ओर से राज्य में चुनाव बाद हिंसा के आरोपों को खारिज किया जाता रहा है। ममता सरकार का कहना है कि यह बीजेपी का प्रॉपेगेंडा है।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की दूसरी ऑटोप्सी कोलकाता के कमांड अस्पताल में होनी चाहिए। इसके अलावा जादवपुर के जिलाधिकारी, एसपी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिसके तहत उनसे पूछा गया कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।
कोलकाता हाईकोर्ट के बाद जब नए मुकदमे दर्ज किए जाएंगे तो निश्चित रूप से इस मामले की जांच करने वाली मानवाधिकार आयोग की टीम का कार्य भी बढ़ जाएगा। मानवाधिकार आयोग की टीम का कार्यकाल 13 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है। इसी दिन इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख उच्च न्यायालय ने तय की है। यही नहीं उच्च न्यायालय की ओर से राज्य के चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि वह चुनाव बाद हिंसा से जुड़े मामलों के सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें। बता दें कि मानवाधिकार आयोग को जांच टीम गठित करने का आदेश भी उच्च न्यायालय की ओर से ही दिया गया था।