वर्तमान समय में भारत विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैश्विक स्तर पर घटने वाली सभी घटनाओं पर अपना विचार रखना और अनेकों मामलों में अपना सीधा दखल रखना अब भारत के लिए सामान्य हो गया है। ऐसे समय में भारत यदि किसी मामले पर नाराजगी व्यक्त करता है तो उसका भी एक अलग मतलब होता है। भारत की इसी नाराजगी के कारण यूरोपीय देशों पर ऐसा दबाव बना कि यूरोपीय संघ के 9 देशों ने भारत में बनी कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दे दी है।भारत ने बुधवार को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से कोविड के भारतीय टीकों और कोविन प्रमाणपत्र को मान्यता देने का आग्रह करते हुए कहा था कि ऐसा होने पर ही भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) के डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र को कोविड प्रोटोकॉल से छूट दी जाएगी।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार अभी तक ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्लोवेनिया, आइसलैंड, यूनान, आयरलैंड और स्पेन ने ईयू डिजीटल कोविड प्रमाणपत्र में कोविशील्ड को शामिल कर लिया है। स्विट्ज़रलैंड ने भी शेनजेन समूह का देश होने के नाते कोविशील्ड को मान्यता दे दी है। इस बीच एस्टोनिया ने पुष्टि की है कि वह भारत सरकार द्वारा अधिकृत सभी टीकों को मान्यता देगा और टीका लगा कर आने वाले भारतीय नागरिकों को यात्रा की अनुमति देगा।
बुधवार की देर शाम भारत ने एक जुलाई से प्रभावी ईयू डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र फ्रेमवर्क में भारतीय टीकों को शामिल नहीं किए जाने पर नाराज़गी व्यक्त की थी। भारत ने समूह के 27 सदस्य राष्ट्रों से कहा था कि कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन के टीके लगवा चुके भारतीयों को यूरोप की यात्रा करने की अनुमति देने पर वे अलग-अलग विचार करें। उन्होंने कहा कि भारत ने ईयू के सदस्य देशों से अनुरोध किया है कि कोविन पोर्टल के माध्यम से जारी टीकाकरण प्रमाणपत्र को स्वीकार किया जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि, जोसफ बोरेल फोंटेलेस के साथ बैठक के दौरान कोविशील्ड को ईयू के डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र योजना में शामिल करने का मुद्दा उठाया था। इटली में जी20 की शिखरवार्ता से इतर यह बैठक हुई थी।