देश अभी कोरोना की दूसरी से लहर से लड़ रहा है। कहीं पर हालात काबू में नजर आते दिख रहे है तो कहीं पर नहीं। लेकिन अभी तक ज्यादातर राज्यों में कोरोना की कमर टूटती नजर आ रही है। लेकिन वही महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामलो में वृद्धि आ रही है। इसलिए चिंता जताई जा रही है कि यहां पर तीसरी लहर जल्द आ सकती है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के दैनिक मामलों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। गुरुवार को राज्य में कोविड-19 के 9844 नए मामले सामने आए, इसके अलावा राज्य में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
बढ़ रहे डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले
स्वास्थ्य विभाग ने बयान जारी कर बताया है कि “राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 60,07,431 हो गई है। साथ ही 197 और लोगों की मौत के साथ मृतकों की कुल संख्या 1,19,859 हो चुकी है। इनमें से 149 लोगों की मौत पिछले 48 घंटे में हुई है और 48 लोगों की मौत पिछले हफ्ते हुई है। विभाग ने बताया कि राज्य में कोविड-19 से ठीक होने की दर अब 95.93 फीसदी है, जबकि मृत्यु दर बढ़कर दो फीसदी हो गई है। राज्य में पिछले 24 घंटे में 9371 रोगियों को ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी मिली है। जिससे ठीक होने वालों की संख्या 57,62,661 हो गई है। वहीं सक्रिय मामलों की संख्या 1,21,767 है। पिछले 24 घंटे में 2,32,578 लोगों की कोरोना वायरस की जांच हुई है। जिससे अभी तक कुल 4,03,60,931 लोगों की कोरोना वायरस की जांच हो चुकी है।
सात जिलों में जांच और टीकाकरण बढ़ाए, सीएम
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्वास्थ्य अधिकारियों से राज्य के उन सात जिलों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है जहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तुलनात्मक रूप से अधिक सामने आ रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि ऐसे जिलों में जांच और टीकाकरण की संख्या बढ़ाई जाए।
ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिबंधों में ढील देने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए और वायरस के प्रसार को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को लापरवाही नहीं करनी चाहिए। रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सतारा, सांगली, कोल्हापुर और हिंगोली जिले में संक्रमण के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
भारत में सबसे अधिक मामले
WHO के अनुसार 14 से 20 जून के बीच भारत में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक 4,41,976 मामले मिले हैं। राहत की बात ये है कि ये इससे पिछले सप्ताह की तुलना में 30 फीसदी कम है। इसी तरह इस दौरान सबसे अधिक 16,329 मरीजों की मौत भारत में हुई, इसमें भी पहले की तुलना में 31 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में दूसरी लहर धीमी पड़ गई है।