भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रहा है। 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन होने के बाद से लगातार अयोध्या की भूमि पर राम मंदिर के लिए मजदूर काम कर रहे हैं। लेकिन इस बीच राम मंदिर सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि कहा जा रहा है कि ट्रस्ट में भगवान श्री राम के मंदिर हेतु जो अतिरिक्त भूमि खरीदी है उसके लिए तय सीमा से अधिक धन का उपयोग किया गया है। आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी तथा सभी प्रमुख दलों के द्वारा इस मामले को एक घोटाले का रूप दिया जा रहा है।भाजपा की पुरानी सहयोगी पार्टी रही शिवसेना भी इस मामले पर राजनीति कर रही है। शिवसेना ने कहा कि यदि राम मंदिर के निर्माण में घोटाले का दाग लगा है तो खुद पीएम मोदी को दखल देना चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में मंगलवार को कहा गया कि राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और ईमानदार होनी चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय गर्व का मामला है।
ट्रस्ट के इस मामले पर संजय रावत ने कहा था कि जमीन की खरीद में गड़बड़ी का जो आरोप आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने लगाया है, वह सनसनीखेज है। इन आरोपों को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, मंदिर के ट्रस्ट और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लोगों के सामने पूरी सच्चाई रखनी चाहिए। अब सामना के संपादकीय में सीधे पीएम नरेंद्र मोदी के ही दखल की मांग की गई है। अखबार ने लिखा, ‘राम मंदिर का निर्माण और उसकी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और ईमानदार होनी चाहिए। इस बात की उम्मीद है कि ऐसी कोई घटना नहीं होगी, जिससे करोड़ों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचे। लेकिन इसी बीच यह वाकया सामने आया है। यह आरोप कितना सच है या गलत है, इस बारे में जल्द से जल्द सच्चाई सामने आनी चाहिए।
विश्वास नहीं तो अपना दान वापस ले शिवसेना: बीजेपी विधायक
वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी शिवसेना के इस रवैए से खफा नजर आ रही है। मुंबई से बीजेपी के विधायक अतुल भाटखलकर ने शिवसेना पर हमला बोलते हुए कहा कि वह राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर लगातार आरोप लगा रही है। उसके यह आरोप देश के करोड़ों राम भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने वाले हैं। भाटखलकर ने शिवसेना को लेकर कहा कि शिवसेना ने राम मंदिर के निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपये का दान किया है। वह चाहे तो अपनी इस रकम को वापस ले सकती है। भाटखलकर ने कहा कि लोगों ने इस मामले में दान दिया है और उन्हें पूरी आस्था भी है। यदि शिवसेना को भरोसा नहीं है तो फिर वह अपनी 1 करोड़ रुपये की रकम वापस ले सकती है।