IAS (Indian Administrative Service) बनना आखिर कौन नहीं चाहता? कहते है सरकारी विभाग में सबसे बड़ी नौकरी IAS की ही होती है। सरकारी विभाग के इस पद पर देश की सेवा करने के लिए लाखों लोग हर साल दिन रात मेहनत करते है। लेकिन पिछले कुछ महीने इस पोस्ट और आईएएस ऑफिसर की गरिमा पर दाग लगाने वाले रहे। पहले शैलेश कुमार और अब छत्तीसगढ़ के रणबीर शर्मा, इन दो घटनाओं ने अब IAS की कार्यशैली और इस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ लिए जाने वाली निर्णयप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है।
गौरतलब है कि IAS बनने के बाद ही अधिकारियों को किसी जिले के DM की जिम्मेदारी दी जाती है। पिछले महीने त्रिपुरा के DM शैलेश यादव ने एक विवाह में पहुंच कर वहां मौजूद लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया था। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था। वीडियो में वह शादी में शामिल मेहमानों से बदसलूकी करते नजर आए थे। लेकिन अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने वाले शैलेश यादव को उनकी इस गलती के लिए सस्पेंड किया गया।
ये सस्पेंशन भी उन्हें खुद मांगना पड़ा, सरकार को उन्हें इससे बड़ी दूसरी कोई जिम्मेदारी देने की तैयारी में थी। अब हाल ही में छत्तीसगढ़ के रणवीर शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। रणवीर शर्मा सरेआम DM पद के नशे में चूर होकर एक युवक को थप्पड़ मरते नजर आए थे। जैसे ही उनकी ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई, इस पूरे मामले की कार्यवाही करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश भगेल ने उनका ट्रांसफर कर दिया। लेकिन लोग अब ये सवाल कर रहें है सरकार के पास इस दुर्व्यवहार के लिए DM को तुरंत निलंबित करने का प्रावधान क्यों शामिल नहीं है?
वीडियो ही वायरल ना हो तब क्या?
इन दोनों घटनाओं के सामने आने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए है। सोचिए अगर सोशल मीडिया ना होता या इन दोनों जिलाधिकारियों की वीडियो ना बनाई गई होती तो क्या ये घटना लोगों तक पहुंचती? ऐसे कई मामले होंगे जिनकी वीडियो शायद ही लोगों और सरकार तक पहुंचती होगी। तो क्या इसकी जिम्मेदारी सरकार की भी नहीं बनती कि वह जिलाधिकारियों की मनमानी के खिलाफ कोई कड़ा प्रावधान लाए?
सरकार को करनी होगी सख्त कार्यवाही
DM शैलेश यादव और रणवीर शर्मा ने अपने किए के लिए माफी मांग ली है। लेकिन ऐसे अभिमानी और बदसलूकी करने वाले अधिकारी अपने पद और जनता के सामने यथावत दंड के पात्र हैं। रणवीर शर्मा तो इससे पहले भी अपनी पिछली पोस्टिंग को लेकर विवादों में रह चुके हैं। उन्हें सेवा से स्थायी रूप से हटा दिया जाना चाहिए, और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की संबंधित धाराओं को भी दूसरों के लिए एक सबक के रूप में लागू करके जेल में डाल दिया जाना चाहिए। शायद इस पहल के बाद अपनी पवार का गलत इस्तेमाल करने वाले जिलाधिकारियों को सीख मिले और वह जानता कि हित में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।