आखिर बांह में ही क्यों लगती है, कोरोना वैक्सीन? जानें कारण

ये कोई नई बात नहीं है कि वैक्सीन बाह में लगाई जा रही है। अधिकतर वैक्सीन जोकि मांसपेशियों में ही लगाई जाती है जैसे बाह में, जांघ में, जिसे इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए इंजेकट किया जाता है। कुछ खास बीमारियों जैसे मीजल्स, मम्प्स रुबैला की वैक्सीन त्वचा के नीचे लगाई जाती है। मांसपेशियो में इंजेक्शन लगाने की वजह यह है कि ये वैक्सीन एक डेल्टॉइड नाम की मांसपेशी में लगाना सही होता है जो कंधे की एक ट्राएंगल मसल्स होती है। लेकिन इसके अलावा इसे जांघ की एंटेरोलेटरल मसल्स पर भी लगाया जाता है।

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क्या वजह है जो ज्यादातर वैक्सीन बांह में लगाई जाती है। जैसा की हम जानते है ज्यादातर वैक्सीन हमारे मांसपेशियों में लगाई जाती हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर वैक्सीन इंजेक्शन द्वारा ही लगाई जाए। कुछ वैक्सीन ड्रॉप से भी दी जाती है जैसे पोलियो, पोलियो भी एक वैक्सीन ही है जोकि मुंह के जरिए ड्रॉप से दी जाती है।

ये कोई नई बात नहीं है कि वैक्सीन बाह में लगाई जा रही है। अधिकतर वैक्सीन जोकि मांसपेशियों में ही लगाई जाती है जैसे बाह में, जांघ में, जिसे इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए इंजेकट किया जाता है। कुछ खास बीमारियों जैसे मीजल्स, मम्प्स रुबैला की वैक्सीन त्वचा के नीचे लगाई जाती है। मांसपेशियो में इंजेक्शन लगाने की वजह यह है कि ये वैक्सीन एक डेल्टॉइड नाम की मांसपेशी में लगाना सही होता है जो कंधे की एक ट्राएंगल मसल्स होती है। लेकिन इसके अलावा इसे जांघ की एंटेरोलेटरल मसल्स पर भी लगाया जाता है।

जैसे ही वैक्सीन को व्यक्ति की बांह या जांघ की मसल्स में लगाया जाता है, तब यह सबसे पहले पास के लिम्फ नोड (लसिकापर्व) में जाती है। इसके बाद यह खास तरह की कोशिकाओं द्वारा ली जाती है, जो टी और बी कोशिकाओं वाली व्हाइट ब्लड सेल्स को ट्रेन करने का काम करती है।

इस ट्रेनिंग में बॉडी सेल्स (कोशिकाएं) या तो किलर सेल्स बन जाती हैं, जो कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति की कोशिकाओं को खोज कर मार देती हैं या फिर वे एंटीबॉडी फ्लो करने वाली सेल्स बन जाती हैं। इस पूरे प्रोसेस में मांसपेशियां अहम हैं, क्योंकि उनमें खास तरह की अहम प्रतिरोधी कोशिकाएं होती हैं।

वैक्सीन लेने के 15 दिन बाद शरीर के अंदर एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती है। और डाक्टर साथ में यह भी सलाह देते है की सबसे पहले आपको अंदर से तैयार होना पड़ेगा। जब आप खुद को खुश रखते है तो एंटीबॉडी बनने में असरदार होता है। आपका सकारात्मक होना भी जरूरी होता है।

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