मानवता की मिसाल बने संघ के स्वयंसेवक, “मैं जी चुका हूं इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे” कह कर छोड़ा बेड

नागपुर में एक स्वयंसेवक ने नारायण भाऊराव दाभाड़कर ने मानवता की एक अनोखी मिसाल प्रस्तुत की है। स्वयंसेवक कोरोनावायरस से पीड़ित थे और बड़ी मुश्किल से उन्हें बेड मिला था। लेकिन एक 40 वर्षीय व्यक्ति के लिए उन्होंने अपना बेड छोड़ दिया और 3 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।

0
509

कोरोना संक्रमण के इस दौर में चारों ओर से बुरी खबरें सामने आ रही हैं। लेकिन इस समय में भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो मनुष्यता के बड़े-बड़े उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। नागपुर में एक बुजुर्ग की ओर से ऐसी मिसाल प्रस्तुत की गई है जो शायद अभी तक किसी ने न की हो। आपको बता दें नागपुर में एक बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाड़कर ने यह कहते हुए एक युवक को अपना बेड खाली कर दिया कि मैंने पूरी जिंदगी जी ली है लेकिन उस व्यक्ति के पीछे उसका पूरा परिवार है। अस्पताल में बेड छोड़ने के बाद नारायणराव घर चले गए और 3 दिन बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

नारायण राव की इस कहानी को जानने के बाद हर कोई व्यक्ति उनकी तारीफ कर रहा है और उनके मानवता के लिए दिए गए योगदान को नमन कर रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बुजुर्गों के इस योगदान को सलाम किया है। शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, ” दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी ने 3 दिनों में इस संसार को अलविदा कह दिया…समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक की ऐसा त्याग कर सकते हैं आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!”

इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में शिवराज ने लिखा, ” मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं जीवन देख लिया है लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जाएंगे। इसीलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाउं। ऐसा कहकर कोरोना पीड़ित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज को दे दिया!”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here