देश में संक्रमण के मामले आसमान छू रहे हैं। सभी शिक्षण संस्थानों पर ताला लग चुका है। परंतु कुंभ मेले में लाखों लोगों की भीड़ एकत्रित हो रही है। इस भीड़ को लेकर काफी लोग देश में परेशान हैं और कुंभ मेले की तुलना मरकज से की जा रही है। हालांकि कुंभ की तुलना कभी भी किसी मजहब विशेष से नहीं की जा सकती क्योंकि कुंभ हजारों सैकड़ों सालों से लगता हुआ आ रहा है और कुंभ प्रतिवर्ष नहीं अपितु 12 वर्षों में एक बार लगाया जाता है। इसमें शामिल होने वाले सभी संत राष्ट्रभक्त होते हैं और धार्मिक राह पर चलने के कारण वे संसार से अलग हो जाते हैं। इसी बीच पंचायती अखाड़े के द्वारा यह राम किया गया है कि 17 अप्रैल को निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों की छावनियाँ खाली कर दी जाएंगी।
उत्तराखंड सरकार के नए आदेश के मुताबिक, सूबे में स्विमिंग पूल और स्पा भी नहीं खुलेंगे। कंटेनमेंट (निषिद्ध क्षेत्र) और माइक्रोकंटेनमेंट क्षेत्रों में सभी प्रकार के समारोह, सार्वजनिक वाहनों के संचालन, सिनेमा हाल, जिम, रेस्टोरेंटों के खुलने पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी। आदेश में कहा जा रहा है कि रात 10:30 बजे से सुबह 5 बजे तक लागू रात्रि कर्फ्यू के दौरान केवल कुछ आवश्यक कार्यों के लिए ही आवागमन की छूट रहेगी। कोचिंग संस्थानों को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन न करने वाले व्यक्ति पर महामारी अधिनियम तथा अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
देहरादून में जारी एक आदेश में प्रदेश के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि सभी धार्मिक, राजनीतिक और विवाह जैसे सामाजिक समारोहों में 200 से अधिक व्यक्ति शामिल नहीं हो सकेंगे। यह कहा जा रहा है हरिद्वार महाकुंभ क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी दिशानिर्देश लागू होंगे। बताया जा रहा है उत्तराखंड सरकार का यह आदेश राज्य में शुक्रवार से लागू होगा। आदेश में मुख्य सचिव ने कहा कि बस, विक्रम, आटो, रिक्शा आदि सार्वजनिक वाहन अधिकतम 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही संचालित होंगे जबकि जिम, सिनेमा हॉल, रेस्तरां तथा बार भी 50 फीसदी क्षमता के साथ ही खुलेंगे।