भारत में 2011 से 2015 और 2016 से 2020 के बीच हथियारों के आयात में 33% की कमी आई है और इसका सबसे बड़ा असर हमारे मित्र देश रूप पर पड़ा है। एस्कॉर्ट होम के रक्षक थिंक टैंक सिपरी की सोमवार को एक रिपोर्ट जारी हुई है। जिसमें यह बात सामने आई कि देश की जटिल खरीद प्रक्रिया और रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने की कोशिशों के तहत भारतीय हथियारों के आयात में अब कमी आई है। पिछले कुछ सालों में भारत ने घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारी कोशिशें की है ताकि सैन्य सामान के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके, राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्री पदनाइक ने कहा था कि घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2018 से 2019 और 2020 से 2021 के बीच लगभग 1.99 लाख करोड रुपए की मंजूरी दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर अभियान के तहत भारतीय सैनिकों के हाथों में भी भारत निर्मित अस्त्र-शस्त्र देने की तैयारी की जा रही है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत में 2011 से 2015 और 2016 से 2020 के बीच हथियारों के आयात में 33% की कमी आई है। रूस सर्वाधिक प्रभावित आपूर्तिकर्ता रहा है हालांकि अमेरिका से भी भारत में हथियारों के आयात में 46% की कमी आई है। सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और 2025 तक 1.75 लाख करोड़ के रक्षा उत्पादों का कारोबार करना चाहती है। सिपरी की रिपोर्ट में यह माना गया है कि रूस और चीन दोनों की हथियारों के निर्यात में कमी आई है।