ऊर्जा सम्मेलन में बोले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,”भारत के लोगों का प्रकृति से है गहरा संबंध”

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चित्र साभार: ट्विटर @BJP4India

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ऊर्जा कार्यक्रम को संबोधित किया इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने प्रकृति के बारे में अपने विचार रखें। प्रधानमंत्री मोदी को शुक्रवार को सेरावीक वैश्विक ऊर्जा तथा पर्यावरण अवार्ड से सम्मानित किया गया। पीएम ने इस अवार्ड को भारत की जनता के लिए समर्पित किया। उन्होंने कहा, ” मैं बहुत विनम्रता के साथ ‘सेरावीक वैश्विक ऊर्जा एवं पर्यावरण नेतृत्व’ अवार्ड स्वीकार करता हूं। मैं इस पुरस्कार को अपनी महान मातृभूमि और देशवासियों को समर्पित करता हूं। मैं इस पुरस्कार को देश की उस गौरवशाली परंपरा को समर्पित करता हूं जिसने पर्यावरण की देखभाल के लिए दुनिया को रास्ता दिखाया है। यह पुरस्कार पर्यावरण नेतृत्व को मान्यता देता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब पर्यावरण की देखभाल की बात आती है तो भारत के लोग दुनिया में सबसे आगे नजर आते हैं। सदियों से ऐसा होता आया है।”

जलवायु परिवर्तन के विषय में पीएम ने कई प्रमुख बातें भी कहीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “जलवायु परिवर्तन से लड़ने का पहला तरीका है- नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों को लागू किया जाना। इनके अपने महत्‍व हैं। उदाहरण के लिए – भारत 2030 तक प्राकृतिक गैस के अपने हिस्से को छह से 15 फीसद तक बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इसके तहत LNG को ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। हमने ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन भी शुरू किया है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने का दूसरा तरीका- अपने व्यवहार बदलाव लाना है। इन चुनौतियों से लड़ने का यह सबसे शक्तिशाली तरीका है! आइए हम खुद को बदलें तभी दुनिया जीने के लिए एक बेहतर जगह होगी। व्यवहार परिवर्तन की भावना भारत की पारंपरिक आदतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है जो हमें करुणा के साथ उपभोग करना सिखाती है। मुझे अपने किसानों पर गर्व है जो लगातार सिंचाई के आधुनिक तरीकों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य में सुधार और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के बारे में भारत में लोगों की जागरूकता बढ़ रही है।”

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