आतंवाद को अपना समर्थन देने वाला पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ साज़िश रचता रहता है। एनआईए के द्वारा किए गए खुलासे में कहा गया है कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के बच्चों को MBBS, इंजीनियरिंग की डिग्री भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए देता है। एनआईए के अनुसार पाकिस्तान में कश्मीरी छात्रों के दिमाग में अलगाववाद और जेहाद के बीज को बोये जाते है और फिर धीरे धीरे उसे अलगाओवादी या आतंकवादी बना दिया जाता हैं। आपको बता दे कि इस बात का खुलासा उस वक़्त हुआ जब टेरर फंडिंग की जांच कर रहे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग केस में आरोप पत्र दाखिल किया।
एनआईए ने अपने आरोप पत्र में लिखा है कि आतंकियों, हुर्रियत कांफ्रेंस और पाकिस्तान सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय गठजोड़ है, जो पाकिस्तान के प्रति झुकाव रखने वाले कश्मीरी डाक्टरों, इंजीनियरों की एक पौध तैयार करने में जुटा हुआ है।
दाखिले में अपना समर्थन देते है ये नेता
एनआईए द्वारा जारी आरोप पत्र के अनुसार कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और उदारवादी हुर्रियत नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारूक व उनके कई अन्य साथी कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान जा कर डॉक्टर और इंजिनियर बनने की सलाह देते है साथ ही साथ पाकिस्तान में उनके दाखिले का भी उचित प्रबंध करते हैं। पाकिस्तान की सरकार इन्हीं नेताओं के सिफारिश पर कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान का वीजा देती है।
आपको मालूम हो कि एनआईए के द्वारा जारी पिछले साल के आंकड़े के अनुसार अब तक 700 कश्मीरी छात्र एमबीबीएसए और इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने पाकिस्तान गए है। हालाकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि गुलाम कश्मीर के college से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले छात्र भारत में ना तो अपना प्रेक्टिस कर सकते है नाही उनको कोई सरकारी नौकरी मिलेगी। इसी बीच नए आंकड़े के अनुसार धारा 370 के हटने के बाद पाकिस्तान में दाखिले लेने वाले छात्रों में कमी आई है और कश्मीर में हुरियत की दुकान भी बंद होने की कगार पर है।