केंद्र सरकार के नेतृत्व में सोशल मीडिया को लेकर नई गाइडलाइंस बना दी गई है। अब सोशल मीडिया पर नफरत फैलाना और देश विरोधी बातें करना किसी भी व्यक्ति के लिए मुश्किलें उत्पन्न कर सकता है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है किसी भी मामले पर मन मुताबिक फैसला नहीं देने पर जजों के खिलाफ खासकर सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग होती है, जिसमें कई बार उन्हें अपमानजनक शब्द कहे जाते हैं। ट्विटर पर भी हैशटैग चलाकर जजों की अवमानना की जाती है, अगर इस प्रकार का कार्य कोई भी करता है तो इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट के मंच पर सार्वजनिक तौर पर कहा, “हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज अपने हिसाब से कानून के आधार पर फैसला देते हैं। लोगों को अधिकार है कि वो उनके फैसले की आलोचना करें, मगर किसी भी तरह की ट्रोलिंग बर्दाशत नहीं की जाएगी। पटना से ये बात मैं पूरे देश के लोगों को साफ कर देना चाहता हूं। भारत में लगभग सभी लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और खुलकर अपने विचार साझा करते हैं। ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का सही उपयोग करते हैं, उसे विचारों के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कुछ लोग इसका गलत उपयोग करना शुरू कर देते हैं, जिसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ता है। हम बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं लेकिन गणमान्य लोगों की अवमानना और अपमानजनक बातों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”