बताया जा रहा है कि यदि मुस्लिमों की शादी विवाह में और फालतू खर्चा किया जाएगा। उदाहरण के लिए डीजे पटाखे आदि तो फिर शहर के उलेमा और काजी निकाह नहीं पढ़ाएंगे। यह फैसला मुस्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में गुरुवार को उलेमाओं की बैठक में किया गया। बंधुओं से अपील की गई कि दूसरी शादी में फालतू खर्चे दिखाई दे वह लोग उसमें शिरकत न करें। इस संबंध में मस्जिदों के बंदो को हिदायत भी दे दी गई है।
मुस्लिम उलेमा यह चाहते हैं कि हम मुस्लिमों की शादी में ज्यादा दिखावा न किया जाए शादियों को शादी ही रखा जाए ना कि भव्य महोत्सव में तब्दील कर दिया जाए। ऐसे आयोजनों को वे शरीयत के खिलाफ मानते हैं। कई बार यह देखा गया है कि शादी विवाह में इतना ज्यादा पैसा खर्च किया जाता है ज़बकी उसकी आवश्यकता होती नहीं है। शहर के मौलाना और काजी ने इस खर्चे को शरीयत के खिलाफ माना है। उनका कहना है कि शादियों में इस तरह दिखावा अच्छा नहीं है।
सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है, “सादगी पसंद मजहब है। हमारे पैगम्बर और कुरान का भी यही संदेश है। शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत से घिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है। इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजनों में हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे।”