पश्चिमी आंध्र प्रदेश के कई इलाकों में यह देखा जा रहा है कि वहां पर गंधो की संख्या कम होती जा रही है। कई रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि इन गधों को मांस के लिए मारा जा रहा हैं। पश्चिमी आंध्र प्रदेश के कुछ प्रमुख जिलों में इस पूरी घटना का अनुमान लगाया गया है। जिसमें गोदावरी, कृष्णा,प्रकाशम और गुंटूर जिले शामिल है। खाद्य सुरक्षा और मानक नियम 2011 के अनुसार गंधो को उसी श्रेणी में नहीं रखा जाता जिसमें अन्य जानवरों को रखा जाता है। कुछ रिपोर्ट की मानें तो तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान,कर्नाटक और महाराष्ट्र मे एकदम गधों की मांग बढ़ गई है। मांस के लिए गधों की अंधाधुंध हत्या पर रोक लगाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
वास्तव में भारत के भीतर गधों का उपयोग सामान ढोने के लिए किया जाता है, बहुत ही कम स्थानों पर गधों को मांस के रूप में प्रयोग किया जाता है। लेकिन आंध्र प्रदेश में गधों की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। आंध्रप्रदेश में गधों की हत्या बड़े रूप पर की जा रही है जिससे अचानक गधों की संख्या में कमी आ गई है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए व्यापारी अवैध तरीकों से ट्रकों में जानवरों को ले जा रहे हैं और प्रत्येक को 10 से 15,000 रुपये में बेच रहे हैं।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक जी नेहरू बाबू ने कहा कि गधों का कत्ल अवैध है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गलतफहमी के कारण लोग गधे का मांस खाते हैं। गुंटूर पुलिस अधीक्षक आरएन अम्मी रेड्डी ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।