आज 21 फरवरी 2021 है। 21 फरवरी को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी देश अपने देश की मातृभाषा के द्वारा राष्ट्र निर्माण को संकल्पित करते हैं। हमारे देश में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती हैं परंतु हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश में स्थानीय भाषाओं का स्थान एक विदेशी भाषा से हमेशा नीचे रहा है।साल 1952 में बांग्लादेश में ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए 21 फरवरी को एक आंदोलन किया था। इस आंदोलन में बांग्लादेश के कई युवा शहीद हो गए थे। इन शहीद युवाओं की स्मृति में ही यूनेस्को ने पहली बार साल 1991 को ऐलान किया कि 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पहला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी 2000 को मनाया गया था इस दिन बांग्लादेश में राष्ट्रीय अवकाश भी था।
नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं को मिला उचित स्थान
भारत की नई शिक्षा नीति के द्वारा भारत की सभी स्थानीय भाषाओं को उचित सम्मान दिया जा रहा है। इस बार लिए गए निर्णय के अनुसार भारतीय छात्र अगले सत्र से मातृभाषा में पढ़ाई करेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2021 सत्र से स्कूलों में पांचवी कक्षा तक अनिवार्य और राज्य चाहें तो आठवीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करवा सकेंगे। वहीं अलावा चुनिंदा आईआईटी और एनआईटी के छात्रों को अपनी मातृभाषा में बीटेक प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिल रहा है। खास बात यह है कि मेडिकल पढ़ाई भी मातृभाषा में करवाने की योजना तैयार हो रही है। पहले बहुत सारे अभ्यर्थी मेडिकल तथा इंजीनियरिंग की परीक्षाओं को इसीलिए छोड़ दिया करते थे क्योंकि वहां पर उनकी भाषा का अपमान होता था उन्हें अपनी भाषा के अलावा विदेशी भाषा में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती थी। बताया जा रहा है कि भारत सरकार के द्वारा एक राज्य के छात्र को दूसरे राज्यों की भाषा, संस्कृति, खान-पान से जोडने वाला एक भारत-श्रेष्ठ भारत योजना 2021 से यूनिवर्सिटी, आईआईटी, आईआईएम में भी लागू होगा। इसकी प्रतियोगिता के अंक क्रेडिट के माध्यम से छात्र की डिग्री में जुड़ेंगे।