भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से पहले राज्यसभा द्वारा लोकसभा के सांसदों को 3 पन्ने का एक पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने सांसदों से अनुरोध किया है कि वह अधिक से अधिक स्वदेशी भाषाओं का प्रयोग करें जिससे स्वदेशी भाषाओं को भारत में उचित स्थान मिले। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सांसदों को पत्र लिखा है कि वे अपने क्षेत्रों में स्थानीय भाषाओं (Native Languages) के प्रचार-प्रसार के लिए काम करें। उन्होंने सांसदों से कहा कि आप जिस बड़े इलाके का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं, मैं आग्रह करता हूं कि आप वहां की स्थानीय भाषाओं को प्रमोट करने में सक्रिय रूप से सहायक बनें।आपके प्रयासों से भारतीय भाषाओं को काफी ज्यादा प्रोत्साहन मिल सकता है।
इस पत्र में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लिखा, “संस्कृति और भाषा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।एक भाषा को समाप्त करना बेशकीमती विरासत को खोने जैसा है।हम इसे होने नहीं दे सकते हैं।हमारी विविधता भरी संस्कृति की खूबसूरती को सिर्फ मातृभाषाओं को प्रोत्साहन देकर ही बचाया जा सकता है। मातृभाषा जीवन की आत्मा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सांसदों को अपने क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित करने को कहा है। ”
युनेस्को ने सन् 1999 में प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। भारत में 29 भाषाएं ऐसी हैं उनको बोलने वालों की संख्या 1000000 (दस लाख) से ज्यादा है। भारत में 7 भाषाएं सी बोली जाती है जिनको बोलने वालों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं जिनको बोलने वालों की संख्या 10000 (दस हजार)से ज्यादा है।दुनिया की कुल आबादी में तकरीबन 60 फीसद लोग 30 प्रमुख भाषाएं बोलते हैं, जिनमें से दस सर्वाधिक बोले जानी वाली भाषाओं में जापानी, अंग्रेजी, रूसी, बांग्ला, पुर्तगाली, अरबी, पंजाबी, मंदारिन, हिंदी और स्पैनिश