पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से किरण बेदी को हटाया गया, 4 विधायकों ने दिया इस्तीफा

पुडुचेरी में नई सियासी उथल-पुथल शुरू हो चुकी है। पुंडुचेरी के उपराज्यपाल किरण बेदी को उनके पद से हटाया जा चुका है। इससे पहले मंगलवार को दो मंत्रियों समेत चार विधायकों ने नारायणसामी के नेतृत्व वाली पुंडुचेरी सरकार से इस्तीफा दे दिया है।

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देश के प्रमुख केंद्र शासित राज्य पुंडुचेरी में अब नई राजनैतिक उथल-पुथल शुरू हो चुकी है। पुडुचेरी के उपराज्यपाल किरण बेदी को उनके पद से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर अब तेलंगाना की उपराज्यपाल डॉक्टर तिमिलसाई सुंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। इससे पहले सोमवार को सरकार के दो मंत्रियों समेत चार विधायकों ने पुडुचेरी की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया है। एक विधायक के अयोग्य साबित होने के कारण अब वर्तमान सरकार अल्पमत में आ चुकी है। विधानसभा में इस समय कांग्रेस विधायकों की संख्या 15 से घटकर 10 हो चुकी है। पुडुचेरी राज्य में कुल 33 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव होता है और 3 पर मनोनीत विधायकों का चयन होता है। विधानसभा में सरकार तथा विपक्ष के पास इस समय 14-14 विधायक है। जिन विधायकों ने सरकार से इस्तीफा दिया है उनमें से दो विधायक अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। राहुल गांधी के दौरे से ठीक कुछ समय पहले ही यह सियासी उथल-पुथल पुंडुचेरी में देखी गई।

2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को राज्य में 15 सीटें मिली थी। जिसके बाद वी नारायणसामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। मंगलवार को पार्टी के एक ऐसे कद्दावर नेता ने अपना इस्तीफा सरकार के सामने प्रस्तुत किया जिन्हें राज्य के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी का काफी करीबी नेता माना जाता है। उन्होंने नेल्लीथोप नामक सीट से विधानसभा चुनाव जीता था लेकिन मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी के लिए उन्होंने इस सीट को खाली कर दिया था।

आने वाले समय में देश के जिन पांच राज्यों में चुनाव होंगे उनमें से पुंडुचेरी एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में है। देश की लगभग सभी पार्टियां लगातार अंतर कलर से जूझ रही हैं हाल ही के दिनों में चुनाव से कुछ समय पहले ही जिस तरह तृणमूल कांग्रेस के विधायक टूटकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं अगर वही हालात पुडुचेरी में दिखाई देते हैं तो निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए बुरी खबर साबित हो सकती है। अगर कई और विधायक भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तो शायद भाजपा इस राज्य में भी अपने जनाधार को बढ़ाने में सफल हो जाएगी।

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