भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम कोई स्टेटिक अवस्था में जीने वाले लोग थोड़ी हैं। अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार भी होते हैं। जो देश को आगे ले जाने में मिलकर काम करें। गालियां मेरे खाते में जाने दो, अच्छा आपके खाते में बुरा मेरे खाते में आओ मिलकर अच्छा करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आंदोलन करने वालों को से मेरी अपील है कि वहां बूढ़े लोग भी बैठे हैं। आंदोलन खत्म करें, मिलकर चर्चा करते हैं। खेती को खुशहाल बनाने के लिए यह समय है, इसे गांवना नहीं है। पक्ष विपक्ष हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। यह देखना होगा कि इनसे यह लाभ होता है या नहीं। मंडिया ज्यादा आधुनिक होनी चाहिए… एमएसपी था और रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन के दौरान कहा, “सदन की पवित्रता को समझिये जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन मिलता है वो जारी रहेगा। आबादी बढ़ रही है जमीन के टुकड़े छोटे हो रहे हैं, हमें कुछ ऐसा करना होगा कि किसानी पर बोझ कम हो और किसान परिवार के लिए रोजगार के अवसर बढ़े। हम राजनीतिक समीकरणो में फसें रहेंगे तो कुछ नहीं हो पायेगा।”
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके।
पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन के दौरान मैथिलीशरण गुप्त की एक कविता भी कही। प्रधानमंत्री ने कहा, “अवसर तेरे लिए खड़ा है तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा हर बंदिश को तोड़, अरे! भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़!” आत्मनिर्भर भारत पर भी चर्चा हुई, भारत में जबरदस्त निवेश हो रहा है, एक तरफ निराशा का माहौल है… डबल डिजिट में ग्रोथ का अनुमान है, हर महीने हम चार लाख करोड़ का डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। पहले सुन रहे थे की बड़ी आबादी डिजिटल ट्रांजिशन कैसे करेगी? आज कहानी कुछ और है, दुनिया में इस की जय जय कार हो रही है।”
लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है।
पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी।
यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे।
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खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है। मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे।
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