आजादी से पहले जब भारत और पाकिस्तान एक देश थे, उस समय आजादी के मतवालों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग देकर आजाद भारत की कल्पना की थी। लेकिन अपने अपने निजी स्वार्थों के कारण भारत दो भागों में विभक्त हुआ। पहला भाग हिंदुस्तान और दूसरा पाकिस्तान। कुछ धर्म के कट्टर लोगों ने अपने लिए पाकिस्तान की मांग की और उन्हें पाकिस्तान दिया गया। वहीं दूसरी तरफ हिंदुस्तान में सभी धर्मों को स्थान मिला। लेकिन जिन लोगों ने आजादी के लिए युद्ध लड़ा था उन्होंने कभी भी यह कल्पना नहीं की थी कि आजादी के बाद हमारा राष्ट्र दो भागों में विभक्त हो जाएगा। हमारे देश को आजादी दिलाने में शहीद भगत सिंह का अभूतपूर्व योगदान है। अगर भारत के किसी भी बच्चे से पूछा जाता है कि भारत की आजादी में किसका योगदान है तो वह निश्चित रूप से शहीद भगत सिंह का नाम लेता है।
पाकिस्तान ने कई दशकों के भगत सिंह के पुश्तैनी मकान को संभाल कर रखा है और अब यह निर्णय लिया गया है कि उनके मकान को स्मारक के रूप में बदल दिया जाएगा। शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। आजादी के पश्चात भगत सिंह का पूरा परिवार अपने पुश्तैनी मकान को छोड़कर हिंदुस्तान आ गया था। उनके भारत आने के पश्चात् भगत सिंह के पुश्तैनी मकान पर स्थानीय वकील ने कब्जा कर लिया था। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन इस मकान को खरीदने के लिए सबसे पहले आगे आया है। फाउंडेशन के चेयरमैन रशीद कुरैशी ने बताया कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का घर अब तीन हिस्सों में बंट चुका है। इसका एक हिस्सा वो है जहां भगत सिंह पैदा हुए थे। पाकिस्तान में भगत सिंह के जन्म स्थान को स्मारक में बदलना निश्चित रूप से भगत सिंह के सम्मान में अहम कदम होगा।